Monday 9 April 2018

गलती

ग्रामीण-परिवेश में सबकुछ मिलती है बस गलती किसकी है यह नहीं मिलती! गलती यदि मिलती भी है तो अपनी गलती  कभी नहीं मिलती! हम आजीवन गलतियों को दूसरों के माथे मढ़ते के आदि हो गए हैं। नतीजतन ग्रामीण-परिवेश में उचित अनुचित का फैसला सटीक नहीं होता!
।। श्री परमात्मने नमः।।

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