Saturday 10 June 2017

मनुष्य का हृदय

मनुष्य का हृदय कभी भी भरा नहीं जा सकता। धन से, पद से, ज्ञान से, किसी से भी भरो वह खाली ही रहेगा क्योंकि इन चीजों से भरने के लिए वह बना ही नहीं है। मनुष्य जितना पाता है उतना ही दरिद्र होता जाता है। हृदय की इच्छाएं कुछ भी पाकर शांत नहीं होती हैं क्योंकि हृदय तो परमात्मा को पाने के लिए बना है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

मनुष्य का हृदय

मनुष्य का हृदय कभी भी भरा नहीं जा सकता। धन से, पद से, ज्ञान से, किसी से भी भरो वह खाली ही रहेगा क्योंकि इन चीजों से भरने के लिए वह बना ही नहीं है। मनुष्य जितना पाता है उतना ही दरिद्र होता जाता है। हृदय की इच्छाएं कुछ भी पाकर शांत नहीं होती हैं क्योंकि हृदय तो परमात्मा को पाने के लिए बना है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 1 June 2017

सच्चाई

सूने-सूने बाग-बगीचे, सूना-सूना घर आँगन
अँधियारे में राह ढूँढता, भटक रहा है पागल मन
अपने हित में सब जीते हैं,सबके अपने सपने हैं
कोई चाहे मान-प्रतिष्ठा, कोई चाहे दौलत-धन
इस दुनिया में मेरे भाई, नफरत है, मक्कारी है
ढूँढ रहा हूँ बस्ती-बस्ती, मैं थोड़ा-सा अपनापन
मेरे आँगन में अंबर से आग बरसती है हर दिन
मैं क्या जानूं कैसी भादो, कैसा होता है सावन
हर इच्छा पूरी हो जाए, है बिल्कुल नामुमकिन
यह सच्चाई, टूट-टूट कर जान चुका है मेरा मन
।। श्री परमात्मने नमः।।

इबादत

तेरे पास में बैठना भी इबादत तुझे दूर से देखना भी इबादत न माला, न मंतर, न पूजा, न सजदा साहेब,
तुझे हर घड़ी सोचना भी इबादत….
।।श्री परमात्मने नमः।।