Saturday 30 September 2017

मुहब्बत

हम किसी के नखरे बर्दाश्त नहीं करते मुहब्बत के बदले मुहब्बत वरना खुदा-हाफिज....
।। श्री परमात्मने नमः ।।

Friday 29 September 2017

अपनापन

किसी के अश्क बहते हैं तो आंचल मुस्कुराते हैं,
कि सूरज अस्त होता है सितारे  झिलमिलाते हैं।
जो आंसू तुमने सौंपे हैं मुझे उनसे गिला क्यों हो,
समय का दौर ऐसा है कि अपने ही रुलाते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

आस्था

धर्म व्यक्ति की वो टीस है जिसे खुरचकर व्यक्ति के अस्तित्व की आस्था को चोटिल किया जा सकता है। व्यक्ति की सबसे बड़ी कमजोरी है उसका धर्म। व्यक्ति जिस धर्म में जन्म लेता है अंत में उसी धर्म के अस्तित्व में विलीन होता है। बचपन से व्यक्ति को जिस धर्म के संस्कार दिए जाते हैं वह उन्हीं संस्कारों को चरितार्थ करता है। किसी भी व्यक्ति को अधिकार नहीं है कि वह अन्य के धर्म के विषय में कुछ भी अपशब्द कहे। जिस धर्म की गहराई को हम माप नहीं सकते उसे हम क्यों चोटिल करें । ऐसा कुछ ना कहा जाए कि व्यक्ति विशेष के धर्म से जुड़ी आस्था को चोट पहुँचे।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 27 September 2017

भूल

हे माँ! कोई हो बात ना दिल से लगाइए,
अगर अपना समझते हैं तो हमसे बताइए।
भूल हो हमसे कोई माँ! तो हमें समझाइए,
समझिए जो हक तो हे माँ! हम पर जताइए।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 26 September 2017

महर्षि वेद व्यास

धर्म ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अवतार थे। इनका पूरा नाम कृष्णद्वैपायन था। इन्होंने  ही वेदों का विभाग किया इसलिए इनका नाम वेदव्यास पड़ा। महाभारत जैसे श्रेष्ठ ग्रंथ की रचना भी महर्षि वेदव्यास ने ही की है।

कश्ती

समा जाते हैं लोग दिल में ऐतबार बनकर,
फिर लूट लेते हैं ख़ज़ाना पहरेदार बनकर।

यकीं करता है इन्सान जिन पे हद से ज्यादा,
डुबो देते हैं वो ही कश्ती मझधार बनकर।

रिश्तों की अहमियत खूब समझती है दुनिया,
पर लालच आ जाती है बीच में दीवार बनकर।

दौरे-मुश्किल में वसूलों पे चलते हैं बहुत लोग,
पर भुला देते हैं वसूलों को मालदार बनकर।

झूठ बिक जाती है पलभर में हजारों के बीच,
सच रह जाता है तन्हा गुनाहगार बनकर।

।। श्री परमात्मने नमः। ।

Sunday 24 September 2017

मजबूरी

वो रोये तो बहुत मगर हमसे मुह मोड़ कर रोये,
कोई मज़बूरी रही होगी वो दिल तोड़कर रोये।
मेरे सामने कर दिए मेरी तस्वीर के टुकड़े,
पता चला मेरे जाने के बाद वो उन्हें जोड़ कर रोये ।।
।। श्री परमात्मने नमः।।

पुरूष प्रधान

स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक कि पुरुष चरित्रहीन न हो। संन्यास लेने के बाद गौतमबुद्ध ने अनेक क्षेत्रों की यात्रा की। एक बार वे एक गांव गए। वहां एक स्त्री उनके पास आई और बोली आप तो कोई राजकुमार लगते हैं। क्या मैं जान सकती हूँ कि इस युवावस्था में गेरुआ वस्त्र पहनने का क्या कारण है ? बुद्ध ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया कि तीन प्रश्नों के हल ढूंढने के लिए उन्होंने संन्यास लिया। बुद्ध ने कहा- हमारा यह शरीर जो युवा व आकर्षक है वह जल्दी ही वृद्ध होगा फिर बीमार व अंत में मृत्यु के मुंह में चला जाएगा। मुझे वृद्धावस्था, बीमारी व मृत्यु के कारण का ज्ञान प्राप्त करना है। बुद्ध के विचारो से प्रभावित होकर उस स्त्री ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया। शीघ्र ही यह बात पूरे गांव में फैल गई। गांववासी बुद्ध के पास आए और आग्रह किया कि वे इस स्त्री के घर भोजन करने न जाएं क्योंकि वह चरित्रहीन है। बुद्ध ने गांव के मुखिया से पूछा- क्या आप भी मानते हैं कि वह स्त्री चरित्रहीन है ? मुखिया ने कहा कि मैं शपथ लेकर कहता हूं कि वह बुरे चरित्र वाली स्त्री है।आप उसके घर न जाएं। बुद्ध ने मुखिया का दायां हाथ पकड़ा और उसे ताली बजाने को कहा। मुखिया ने कहा- मैं एक हाथ से ताली नहीं बजा सकता क्योंकि मेरा दूसरा हाथ आपके द्वारा पकड़ लिया गया है। बुद्ध बोले इसी प्रकार यह स्वयं चरित्रहीन कैसे हो सकती है जबतक कि इस गांव के पुरुष चरित्रहीन न हो। अगर गांव के सभी पुरुष अच्छे होते तो यह औरत ऐसी न होती इसलिए इसके चरित्र के लिए यहाँ के पुरुष जिम्मेदार हैं l यह सुनकर सभी लज्जित हो गये लेकिन आजकल हमारे समाज के पुरूष लज्जित नहीं गौरवान्वित महसूस करते है क्योंकि यही हमारे "पुरूष प्रधान" समाज की रीति एवं नीति है l
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 22 September 2017

हे मालिक!

उदासी के लम्हे बेक़रार करते हैं,
मेरे हालात ही मुझे लाचार करते हैं।
कभी तो पढ़ ले तू आँखें मेरी,
कैसे कहें कि तुम्हीं से प्यार करते हैं।।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 19 September 2017

तालीम

परिंदों को दी नही जाती तालीम उड़ानों की....
वो खुद ही तय करते हैं मंजिल आसमानों की....
जो रखते हैं हौसला आसमान छूने का....
परवाह नही उनको नीचे गिर जाने की....
।। श्री परमात्मने नमः ।।

कमी

मुझ में ख़ुशबू बसी उसी की है
क्योंकि ये ज़िंदगी उसी की है....!

वो कहीं आस-पास है मौजूद
हू-ब-हू ये हँसी उसी की है...!

ख़ुद में अपना दुखा रहा हूँ दिल
इसमें लेकिन ख़ुशी उसी की है...!

यानि कोई कमी नहीं मुझ में
बस मुझ में कमी उसी की है..!

।। श्री परमात्मने नमः ।।

Monday 18 September 2017

वास्तु नियम

वास्तुदोष दूर करने के कुछ टिप्स - - >

उत्तर दिशा में पानी से भरा मिट्टी का घड़ा अथवा सुराही रखें। प्रतिदिन पानी बदलते रहें। ध्यान रहे यह कभी खाली न होने पाए।

दक्षिण-पश्चिम दिशा में हनुमान जी का पंचमुखी स्वरूप अथवा चित्रपट स्थापित करें। सभी पारिवारिक सदस्य मिलकर पूजन करें हर रोज संभव न हो तो मंगलवार के दिन अवश्य करें।

चांदी, तांबे, पीतल अथवा लकड़ी का पिरामिड उस स्थान पर रखें जहां पारिवारिक सदस्य सबसे अधिक समय व्यतित करते हैं ऐसा करने से धन के प्रवाह को सकारात्मकता मिलती है।

घर में अनावश्यक रूप से तनाव रहता है तो भगवान श्री हरि विष्णु के अवतार मत्स्य और कच्छप के रूप कछुए और मछली को घर में स्थान दें।

मुख्यद्वार पर धन की देवी लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर के चित्रपट अथवा स्वरूप सजाएं। धन का प्रवाह बढ़ेगा।

मंदिर में वास्तुदेव का स्वरूप स्थापित करें। हर तरह के संकट का होगा अंत।

Sunday 17 September 2017

अवसरवादी

भीतर विष लेकिन बाहर से हाथ मिलाकर हँसते लोग
आँखों में लेकर मिलते हैं नफरत के गुलदस्ते लोग
औरों के गुण-दोष हमेशा छलनी में से छान रहे
पर अपने गुण-दोष कसौटी पर जा कभी न कसते लोग
शीतल जल से भरी घटा तू कब बरसेगी धरती पर
जेठ-दुपहरी से झुलसाए जल को आज तरसते लोग
कहने को तो लाखों में भी बिकने को तैयार नहीं
अवसर मिलने पर बिक जाते कौड़ी से भी सस्ते लोग
रूप सुरक्षित रह सकता तो पर्दे में रह सकता है
जब भी रूप उठाये पर्दा बनकर तीर बरसते लोग
जाने-पहचाने चेहरे भी अनजाने से लगते हैं
दिन का उजियाला है फिर भी अंधकार में बसते लोग
सूरज चढ़ता है तो मुख पर और मुखौटे होते हैं
सूरज छिपता है तो मुख पर और मुखौटे कसते लोग
पहले तो 'दिवाकर' तुम्हारी 'हाँ' में 'हाँ' सब कहते थे
अब क्यों तुमको छोड़ चले हैं अपने-अपने रस्ते लोग
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 16 September 2017

सुखी जीवन

सुखी जीवन के सरल उपाय-->
प्रतिदिन अगर तवे पर रोटी सेंकने से पहले दूध के छींटे मारें तो घर में बीमारी का प्रकोप कम होगा।
प्रत्येक गुरुवार को तुलसी के पौधे को थोडा-सा दूध चढ़ाने से घर में लक्ष्मी का स्थायी वास होता है।
प्रतिदिन सबेरे पानी में थोडा- सा नमक मिलाकर घर में पोछा करें मानसिक शांति मिलेगी।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 15 September 2017

मुसीबत

शुक्र गुजार हूँ उन तमाम लोगों का जिन्होने बुरे वक्त में मेरा साथ छोड़ दिया क्योंकि उन्हें भरोसा था कि मैं मुसीबतो से अकेले ही निपट सकता हूँ।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 14 September 2017

जिंदगी

जिंदगी तीन पेज की है, पहला और अंतिम पेज भगवान ने लिख दियाहै। पहला पेज जन्म का और अंतिम पेज मृत्यु का है एवं बीच के पेज को हमें भरना है प्यार, विश्वास और मुस्कराहट के द्वारा....
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 13 September 2017

विद्वान

विद्वान आसानी से कभी एकमत हो ही नहीं सकते।कोई हल निकलने की बजाय विवाद और भड़क जाता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 11 September 2017

जिंदगी

सबसे तेज वही चलता है जो अकेला चलता है लेकिन दूर तक वही जाता है जो सबको साथ लेकर चलता है। कोशिश करें कि जिंदगी का हर लम्हा अपनी तरफ से हर किसी के साथ अच्छे से गुजरे क्योंकि कि जिन्दगी नहीं रहती पर अच्छी यादें हमेशा जिन्दा रहती हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

कलियुग

सतयुग में जिस फल के लिए ध्यान, त्रेता में यज्ञ और द्वापर में देवी देवताओं के निमित्त हवन-पूजन करना पडता है परंतु कलियुग में उसके लिए केवल नापजप ही पर्याप्त है। कम समय और कम प्रयास में सबसे अधिक पुण्य-लाभ के चलते ही कलयुग को सबसे श्रेष्ठ कहा गया है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 9 September 2017

सेवा

ब्राह्मणों को जनेऊ कराने के बाद कितने अनुशासन और विधि-विधान का पालन करने के बाद पुण्य प्राप्त होता है. जबकि शूद्र केवल निष्ठा से सेवा दायित्व निभा कर वह पुण्यलाभ अर्जित कर सकते हैं. सब कुछ सहते हुए वे ऐसा करते भी आए हैं इसलिए शूद्र ही साधु हैं.
।। श्री परमात्मने नमः।।

समर्पित सेवा

स्त्रियों का न सिर्फ उनका योगदान महान है बल्कि वे सबसे आसानी से पुण्य लाभ कमा लेती हैं. मन, वचन, कर्म से परिवार की समर्पित सेवा ही उनको महान पुण्य दिलाने को पर्याप्त है. वह अपनी दिन चर्या में ऐसा करती हैं इसलिए वे ही धन्य हैं.
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 6 September 2017

दिल

बड़ी आसानी से दिल लगाये जाते हैं
पर बड़ी मुश्किल से वादे निभाये जाते हैं।
ले जाती है मुहब्बत उन राहों पर
जहां दिये नहीं दिल जलाये जाते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 5 September 2017

वासना

जय श्री कृष्ण
जिस आत्मारूपी समुद्र में यह संसार तरंगों के समान स्फुरित होता है वही मैं हूँ। यह जान कर भी क्यों तू दीन की तरह दौड़ता है? आदमी के जीवन की एकमात्र दीनता है वासना क्योंकि वासना भिखमंगा बनाती है। वासना का अर्थ है दो। वासना का अर्थ है मेरी झोली खाली है कोई भर दो। वासना का अर्थ है मांगना। वासना का अर्थ है कि मैं जैसा हूं वैसा पर्याप्त नहीं। मैं जैसा हूं उससे मैं संतुष्ट नहीं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 4 September 2017

सत्गुरु

हे सत्गुरु! तू मुझे दिल ऐसा देना कि मैं सबको माफ कर सकूं, आँखें ऐसी देना कि किसी की बुराई ना देख सकूं और हृदय ऐसा देना कि मैं
तुझे कभी भुला ना सकूं.
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 3 September 2017

नयी मंजिल

हम इश्क के दीवाने हम प्यार सिखायेंगे. 
खोजेंगे नयी मंजिल इक राह दिखायेंगे. 

उजड़े हुए गुलशन की वीरान-सी दुनिया को
अपने ही हाथों से ज़न्नत सा बनाएंगे .

रोती हुई आँखों के हम पोंछ के हर आँसू
मुरझा गए चेहरों को हम फिर से हँसायेंगे.

नफ़रत के शोलों से  हर शख़्स झुलसता है
हम प्यार के झोंकों से शोले ये भगायेंगे. 

बेरंग सी दुनिया में हर मुल्क परेशां है
हम इश्क के रंगों से दुनिया ये सजायेंगे.

ज़ख़्म दिये हमको अपनों ने जो सीने में
हम प्यार के मरहम से ये ज़ख़्म सुखायेंगे.
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 2 September 2017

वक्त और उम्र

वक्त और उम्र किसी का इंतजार नहीं करते। ये अपनी गति से बढ़ते रहते हैं। वक्त हमें पल पल बहुत गहरी सीख देता है लेकिन हम उस सीख को समझने का प्रयास ही नहीं करते और व्यर्थ के झगड़ों व कार्यों में उलझकर अपने समय को बर्बाद करते रहते हैं और जिंदगी के महत्वपूर्ण दिनों को व्यर्थ खोते रहते हैं। व्यक्ति को वक्त के केवल वर्तमान का महत्व देना चाहिए। अतीत के केवल उन्हीं अनुभवों को याद रखना चाहिए जो उसे जीवन के रणक्षेत्र में खड़ा होने के लिए मजबूत बनाते हों और जीवन की धरा पर चलना सिखाते हों।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 1 September 2017

शांति

आम देशवासी" चाहे वह हमारा देश "भारत" का हो या "पाकिस्तान" का, कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं चाहता. सब शान्ति से रहना चाहते हैं, एक-दूसरे के साथ "भाईचारा" निभाना चाहते हैं परन्तु कुछ ही लोग होंगे जो आपस मे लड़-लड़ाकर अपनी-अपनी रोटी सेक रहे हैं......
हमें उनलोगों को पहचानना होगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।