आध्यात्मिक व्यक्ति दूसरों में उसी आत्मा के दर्शन करता है, जो स्वयं उसके हृदय में विराजमान रहता है। वह अपना प्रेम करुणा और सहानुभूति दूसरों पर उड़ेलता चलता है।उसके आत्मभाव का दायरा अति विस्तृत रहता है, जिसमें न केवल मनुष्य, प्रत्युत अन्य जीव भी सम्मिलित होते हैं।
।।श्री परमात्मने नम:।।
Sunday 30 April 2017
आत्मभाव
सच्ची संपत्ति
हँसता हुआ मन और हँसता हुआ चेहरा यही सच्ची संपति है इस पर आयकर विभाग की रेड कभी नहीं पड़ती।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Friday 28 April 2017
सार्थकता
धन तभी सार्थक है जब धर्म भी साथ हो।
विशिष्टता तभी सार्थक है जब शिष्टता भी साथ हो। सुंदरता तभी सार्थक है जब चरित्र भी शुद्ध हो। संपत्ति तभी सार्थक है जब स्वास्थ्य भी अच्छा हो। देवस्थान गमन तभी सार्थक है जब हृदय में भाव हो। अच्छा व्यापार तभी सार्थक है जब व्यवहार भी अच्छा हो। विद्वता तभी सार्थक है जब सरलता भी साथ हो। प्रसिद्धि तभी सार्थक है जब मन में निरअहंकारिता हो।
बुद्धिमता तभी सार्थक है जब विवेक भी साथ हो। दोस्ती का होना तभी सार्थक है जब उसमें प्यार और विश्वास हो।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 27 April 2017
परमात्मा की प्राप्ति
अपने अपने स्वाभाविक कर्मोंमें निष्काम भाव से तत्परतापूर्वक लगा हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त कर लेता है। जिस परमात्मा से संपूर्ण संसार पैदा हुआ है और जिससे यह संपूर्ण संसार व्याप्त है, उस परमात्माका अपने कर्मोंके द्वारा पूजन करके मनुष्य सिद्धि को (परमात्माकोे) प्राप्त हो जाता है अर्थात् अपने स्वाभाविक कर्मोंमें लगा हुआ मनुष्य परमात्मा को प्राप्त होता है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Wednesday 26 April 2017
कर्म दोष
जिसकी बुद्धि सब जगह सर्वथा आसक्तिरहित होती है, जिसका शरीर वश में होता है और जिसको किसी वस्तु आदि की किञ्चिन्मात्र भी परवाह नहीं होती, ऐसा मनुष्य सांख्ययोग के द्वारा नैष्कर्म्य-सिद्धि ( ब्रह्म- ) को प्राप्त हो जाता है अर्थात् उसके सब कर्म अकर्म हो जाते हैं और उसे कर्मों का आंशिक दोष भी नहीं लगता।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Tuesday 25 April 2017
माँ
माँ से ही सारे सृष्टि का निर्माण होता है। हम सभी जानते हैं कि बिना माँ के इस संसार में कोई आ ही नहीं सकता। जहाँ मातृरूपेण शक्ति विराजमान होती है वहाँ पालन-पोषण बहुत आराम से होता है। माँ शिशु को जन्म देती है, उसका पालन-पोषण करती है जब उसका कोई सहारा नहीं होता तो दूध पिलाती है और उस शिशु के वाणी का पहला शब्द भी तो ‘माँ’ ही है उसको भी तो माँ ही प्रदान करती है इसलिये *माँ* वह शक्ति है जिसमें ब्रह्मा भी हैं, विष्णु भी हैं और शिव भी हैं।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Monday 24 April 2017
भूल
भूल जीवन का एक पेज है और सम्बन्ध पूरी किताब, जरुरत पड़े तो भूल का एक पेज फाड़ दीजिए लेकिन एक छोटे- से पेज के लिए पूरी किताब नहीं फाड़िए।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 23 April 2017
विश्वात्मा
विश्वात्मा भगवान के अनन्तरूप ही जगत के सब प्राणी हैं और वह विश्वात्मा भगवान ही इन सब प्राणियों की विविध-विचित्र क्रियाओं के रूप में अपनी लीला कर रहा है | वह स्वयं अपने-आप ही, अपने-आपसे ही, अपने-आप में ही और अपने-आप बने हुए खिलौनों से सदा खेल रहा है |
।।श्री गणेशाय नम:।।
Saturday 22 April 2017
अस्तित्व
अपने आप को ईश्वर में फना करने की चाहत तभी पैदा होती है जब वह अपने से अधिक प्रिय लगता है और अपने अस्तित्व का ज्ञान हो जाता है कि यह एक बूँद से अधिक कुछ नहीं है!
।।श्री परमात्मने नमः।।
Friday 21 April 2017
आध्यात्मिक व्यक्ति
ऐसा नहीं है कि आध्यात्मिक व्यक्ति कुछ अलग जीवन जीते हैं बल्कि अन्य लोगों की तरह उनका भी जीवन सामान्य होता है। हाँ, आध्यात्मिक व्यक्ति में जीवन और अनुभवों को देखने की दृष्टि भले ही अलग होती है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 20 April 2017
नम्रता
यदि राजा निर्बल हो तो उसे शत्रु के साथ नम्रता का सहारा लेना चाहिए क्योंकि नम्रता का सहारा लेकर बड़ी से बड़ी मुश्किलों से भी पार पाया जा सकता है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Wednesday 19 April 2017
मानवता का सच्चा सेवक
जो अपने अद्वितीय कर्मों के बल पर संसार में मानवता का मार्ग प्रशस्त करता है, मानव कल्याण के लिए आजीवन कार्यरत रहता है, दु:खी और पीड़ित मनुष्य को देखकर अत्यंत द्रवित हो उसकी सेवा और सहयोग करने के साथ-साथ उसका कष्ट निवारण करने में जुटा रहता है वही आध्यात्मिक चिंतक, उत्कृष्ट वाणीकार, श्रेष्ठ संगठनकर्ता और मानवतावाद का प्रबल पक्षधर हो सकता है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Tuesday 18 April 2017
ईश्वर प्राप्ति
ईश्वर प्राप्ति या जीवन-मुक्त होने का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि मानव मात्र से एक-सा प्रेम हो जाता है। हृदय में भेदभाव नहीं रहता। मानव-प्रेम का दायरा धीरे धीरे बढ़ता है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Monday 17 April 2017
सहनशीलता
समय की आंच में तपकर निखरना सामान्य व्यक्ति के बस की बात नहीं है। पग-पग पर प्रतिकूलता से जूझने वाले लोहा लेते-लेते पारस पत्थर बन जाते हैं जैसे कोयला अधिक ताप के दबाव में हीरा बनकर गौरवान्वित होता है उसी प्रकार संकट सहते-सहते सामान्य मनुष्य महापुरुष बन जाता है। अत: महापुरुष बनने के लिए संकट तो सहना ही पड़ेगा।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 16 April 2017
परमात्म-भाव
जिसने इच्छारहित होकर अपने गुणों से समाज को लाभान्वित करना सीख लिया, संसार के मोह को त्यागकर संसार में रहना सीख लिया और आत्मा को विस्मृत कर परमात्म भाव में रहना सीख लिया वही परमात्मा के प्रति उत्तरदायी है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Saturday 15 April 2017
आत्मबोध
हम सबके भीतर आत्मा के रूप में परमात्मा ही वास करता है जो हमें प्रतिक्षण सरल एवं मधुर शब्दों द्वारा राह दिखलाता रहता है भले ही हममें सुनने का धैर्य ही न हो, हम उसकी कही बात को सुनते ही न हों। परिणामत: हम बारंबार अपनी गलतियों को दोहराते रहते हैं और दु:ख पाते रहते हैं। हमें परमात्मा के आज्ञा पालन को विकसित करना चाहिए तभी परमात्मा गुरु बनकर हमारा मार्गदर्शन करने का दायित्व लेगा।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Friday 14 April 2017
साथ
जहाँ कोई नहीं होगा और मुश्किलें सामने होंगी
वहाँ तू साथ देना हे प्रभु! मैं तेरा ही तो बालक हूँ।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 13 April 2017
झूठी शान
रहता हूँ मैं किराये की काया में और रोज़ सांसों को बेच कर किराया चुकाता हूँ। मेरी औकात है क्या बस मिट्टी जितनी परंतु बात मैं महल मीनारों की कर जाता हूँ। जल जायेगी ये मेरी काया एक दिन फिर भी इसकी खूबसूरती पर इतराता हूं। मुझे यह भी पता है कि मैं खुद के सहारे श्मशान तक भी ना जा सकूंगा फिर भी मैं अपनी झूठी शान दिखाता हूँ।
Wednesday 12 April 2017
सत्यानाश
जिस समाज का बुद्धिजीवी वर्ग अपने ही समाज के प्रति बेईमान और भ्रष्ट हो उस समाज का सत्यानाश करने के लिए दुश्मनों की जरूरत नहीं होती।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Tuesday 11 April 2017
अच्छे व्यवहार
कभी हँसते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी,कभी रोते हुए छोड़ देती है ये जिंदगी। न पूर्ण विराम सुख में न पूर्ण विराम दुःख में, बस जहाँ देखो वहाँ अल्पविराम छोड़ देती है ये जिंदगी। प्यार की डोर सजाये रखिए दिल को दिल से मिलाये रखिए क्या लेकर जाना है साथ में इस दुनिया से, मीठे बोल और अच्छे व्यवहार से रिश्तों को बनाए रखिए।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Monday 10 April 2017
अंत भला तो सब भला
यदि किसी व्यक्ति ने अपने जीवन का तीन चौथाई हिस्सा गलत कार्यों में खर्च कर दिया है तो भी वह शेष बचे समय में सद्कर्म या जनहित के कार्य करके पश्चाताप कर सकता है क्योंकि दु:ख-दर्द तो सभी मानव के जीवन में है परंतु जो अपने दु:खों को ही सबसे बड़ा और जटिल मान लेता है उससे जनहित के कार्य की अपेक्षा नहीं की जा सकती। वास्तव में वही जनहित के बारे में सोच सकता है जो दूसरों के दुःखों को महसूस करे और उनके सामने अपने दु:ख को भूल जाए।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 9 April 2017
धर्म और मर्यादा
क्रोध भी तब पुण्य बन जाता है जब वह धर्म एवं मर्यादा के लिए किया जाए और सहनशीलता भी तब पाप बन जाती है जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाये।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Saturday 8 April 2017
संबंध
जमीन अच्छी हो,खाद अच्छा हो परंतु 'पानी' अगर 'खारा' हो तो फूल खिलते नहीं। भाव अच्छे हो कर्म भी अच्छे हो मगर 'वाणी' खराब हो तो 'सम्बन्ध' कभी टिकते नहीं।
Friday 7 April 2017
अहसास
अहसास सभी जब ख़त्म हुए तब प्रीत फ़रेब हुई जग में, दिल से दिल का अब मेल नहीं छल के सब शूल बिछे मग में. मत अश्रु बहा दिल आस जगा अब हिम्मत तू भर ले रग में, ख़ुद से ख़ुद की ख़ुद प्रीत जगा तब मुश्क़िल भी न मिले डग में.
Thursday 6 April 2017
प्रेम की ज्योति
जंग लड़ रहे आज सब खंजर और तलवार से,
खून खराबे से नहीं जीत मिले बस प्यार से।
स्वार्थ सिद्धि के लिए मनुज मानव का लहू बहा रहा।
प्रेम की ज्योति जलायें तो बस बैर मिटे संसार से।
Wednesday 5 April 2017
नवरात्रि
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि संपूर्ण सृष्टि प्रकृतिमय है और वह सिर्फ पुरुष हैं। यानि हम जिसे पुरुष रूप में देखते हैं वह भी आध्यात्मिक दृष्टि से प्रकृति यानि स्त्री रूप है। स्त्री से यहांँ मतलब यह है कि जो पाने की इच्छा रखने वाला है वह स्त्री है और जो इच्छा की पूर्ति करता है वह पुरुष है। ज्योतिष की दृष्टि से चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है क्योंकि इस नवरात्रि के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होता है। सूर्य 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं और फिर से अगला चक्र पूरा करने के लिए पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं। सूर्य और मंगल की राशि मेष दोनों ही अग्रि तत्व वाले हैं इसलिए इनके संयोग में गर्मी की शुरूआत होती है।
Tuesday 4 April 2017
जय माता दी
चलूं चलूं पूजन करे चैत के महीनमा से उठु-उठु ना,
अइलन मैया मोर दुयरिया से उठु उठु ना...
नाहीं हकै अक्षत चंदन, नाहीं मिसटनमा से किये देवन ना,
अइलन मैया मोर अंगनमा से किये देवन ना.
काम,क्रोध,लोभ,मोह,मद,मत्सरबा से त्यागी दिहो ना,
मैया देथिन तब दरशनमा से त्यागी दिहो ना.
नाहीं जानूं पूजा-पाठ नाहीं धरूँ ध्यनमा से कैसे देथिन ना,
मैया अपन दरसनमा से कैसे देथिन ना..
धरूँ धरूँ धरूँ सबमिल सेवा के बरतबा से खुश होथिन ना,
सुनला मैया के उपदेशवा से खुश होथिन ना.
Monday 3 April 2017
सत्यं, शिवं, सुन्दरं
सम्राट सपने में सम्राट नहीं रह जाता है और भिखारी सपने में भिखारी नहीं रह जाता है अर्थात् उस सपने की तरह यह संसार भी स्नप्नवत है, सत्य तो बस परमपिता परमात्मा ही हैं, सत्य तो केवल और केवल शिव हैं जो सुंदर भी हैं, बाकी सब माया है.
|| श्री परमात्मने नम: ||
Sunday 2 April 2017
भूख और पैसा
हे प्रभु! सुख देना तो इतना देना जिससे अहंकार ना आये, दुख देना तो इतना देना जिससे आस्था ना खो जाये क्योंकि हर सूर्यास्त हमारे जीवन से एक दिन कम कर देता है लेकिन हर सूर्योदय हमें आशा भरा एक और दिन दे देता है अंत: हमें भूख और पैसा के चलते विचलित मत करना यही आपसे याचना है।
।।श्री परमात्मने नमः।।
Saturday 1 April 2017
इष्टदेव
सदा रहे सेवा विनय, मान बड़ाई त्याग |
राम-नाम का काम हो, राम-भक्ति अनुराग ||
बार-बार नमस्कार तुझे, धरणी पर सिर टेक |
राम-राम श्री राम जी, इष्ट देव हैं एक ||