मज़हब नहीं सिखाता, आपस में वैर रखना। मज़हब को देखकर हम इंसानियत की पहचान नहीं कर सकते परंतु ग्रामीण-परिवेश में मज़हबी इंसान की कमी नहीं है! हमें इससे बचना चाहिए! यह भ्रष्टाचार से भी खतरनाक विचारधारा है! हमें मज़हब-मुक्त भारत चाहिए! यह मेरी मौलिक विचारधारा है और कोई जरूरी नहीं कि सभी इससे सहमत हों। जो सहमत नहीं हैं उनसे मैं क्षमा चाहता हूँ।
।। श्री परमात्मने नमः।।
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