जो भी तस्वीरें हमारे मन में होती हैं वह चाही गई अदृश्य चीजों का प्रमाण है। हम अपनी कल्पना में जो भी गढ़ते हैं वह हमारे शरीर के किसी अंग जितना ही वास्तविक होता है। विचार वास्तविक होते हैं और वे एक न एक दिन हमारी यथार्थवादी दुनिया में अवश्य प्रकट होंगे। शर्त केवल इतनी है कि हमें अपनी मानसिक तस्वीर के प्रति निष्ठावान रहना होगा। चिंतन की यह प्रक्रिया हमारे दिमाग पर छाप छोड़ देती है। यही छाप बाद में हमारे जीवन में तथ्य और अनुभव के रूप में सामने आती है। आर्किटेक्ट जिस तरह की इमारत बनाना चाहते हैं पहले उसकी तस्वीर ही तो देखते हैं जिसके अनुसार कॉन्ट्रैक्टर और भवन-निर्माता आवश्यक सामग्री इकट्ठा करते हैं फिर इमारत बनने लगती है। अंततः हम यही देखते हैं कि इमारत पूरी होने पर यह आर्किटेक्ट के मानसिक ढाँचे के अनुरूप होती हैं। किसी विचार के सूत्रीकरण का सबसे सरल और स्पष्ट तरीका यही है।
।। श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 1 April 2018
वास्तविक विचार
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