Saturday 27 January 2018

गुरु की आवश्यकता

प्रश्न
'क्या मैं गुरु के बिना रास्ता नहीं खोज सकता?’
‘मैं इसे खुद क्यों नहीं कर सकता?’
देखिए, आप घड़ी का इस्तेमाल करते हैं न ? मैं आपको घड़ी के सभी पुर्जे दे देता हूँ। आप घड़ी बनाकर दिखाइए। मैं आपको कंप्यूटर या अंतरिक्ष यान बनाने के लिए नहीं कह रहा हूँ। घड़ी जैसी मामूली चीज में आपको पूरा जीवन लग सकता है इसलिए आप घड़ी के लिए घड़ीसाज के पास जाते हैं तो किसी ऐसी चीज के लिए गुरु के पास जाने में आपको क्या समस्या है ?
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 26 January 2018

नवजीवन

लोकविमुख राजनीति, सकते में लोकतंत्र
गणतंत्र-भारत में घुटन नहीं चाहिए !
स्वाधीन-भारत में नैतिक सिद्धांत नहीं
मकसद हंगामे का हमें नहीं चाहिए !
आपस में प्रेम बिना जीवन है अस्त-व्यस्त
परस्पर आलोचना अब नहीं चाहिए!
अवसर मिल जाने पर बिक जाते लोग यहांँ
सह-जीवन, प्रेम और सह-विकास चाहिए !
उपलब्धियां अनेक हैं फिर भी है लाभ शून्य
लोकतांत्रिक राष्ट्र में नवजीवन चाहिए !
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 25 January 2018

गरीब

[गरीब हिन्दू हैं न मुसलमान]                                                                                                                  **********************
जले हुए अवशेषों में
उम्मीद तलाशते गरीब
हिन्दू हैं न मुसलमान !
अमानवीय व्यवहारों से
आक्रांत गरीबों का
बस रोटी ही है धर्म और ईमान !!
मीडिया के माध्यम से
मूल्यवान प्रतिक्रियाओं पर
आखिर क्यों नहीं जाता ध्यान ?
केवल कहने के लिए
जनता द्वारा, जनता के लिए
जनता का तंत्र है
प्रजातंत्र की पहचान !!!
आखिर कबतक पिसते रहेंगे
भावुक मतदाता और मदहोश
सत्ताधारियों के बीच
प्रजातंत्र के अरमान!!!!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 24 January 2018

सबका हो कल्याण

सबका हो कल्याण
जाति-पाति की जहाँ नहीं हो कोई भी दरकार
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई करें नहीं तकरार
नगर-नगर और गाँव-गाँव में सब हों भागीदार
हक़ से वंचित नहीं हो सकें नर हों चाहे नार
व्यवसायी, अधिकारी हों या हों मजदूर-किसान
प्रयत्नशील हो दिखलायें अपनी-अपनी पहचान
सबका भला तभी होगा और जीवन का कल्याण
नैतिकता हो जहाँ कर्म में सबका हो सम्मान
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 23 January 2018

निशान

टूटे हैं बार-बार जहाँ वादों के आइने,
उन स्वार्थों की बेरहम चट्टान आदमी !
दोस्ती में जो उतर गया है दुश्मनी का रंग,
अपनी ही उलझनों से परेशान आदमी !
वर्तमान के दोराहे पे चलने लगे हैं हम,
कीचड़ के ताल में धुला परिधान आदमी !
दोष किसे दूं ! ऐ जिंदगी मुझे खुद पे है भरम,
सब अपने हैं पर अपनों से अनजान आदमी !
अभीतक कहीं पे प्यार की खुशबू नहीं मिली,
इक वेश्या के अधरों की मुस्कान आदमी !
सुधरने की राह पर उजड़े हुए वतन को
गुलजार करने की प्रतीक्षा में परेशान आदमी !
प्रकृति हमसे कुछ कहती है अकेले में,
एक तरफा ही कर रहा युद्ध विराम आदमी !
वो बात आजतक भी मैं भूल नहीं पाया,
जो कर रहा अकेला, कितना महान आदमी !
काश हम जात-पात से बाहर आ पाएं !
मिल जाती राहत, छोड़ जाता निशान आदमी !
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 22 January 2018

जर्जर नाव

हो गई है नाव जर्जर उफनती जलधार है,
हम समंदर बीच हैं और तीर पर पतवार है!
इस धरा पर भूख से व्याकुल मनुज साकार है,
हमने देखा भरे जल में आजकल अंगार है!
गली-गली से राजपथ तक फैलता अंधियार है,
भोग-लिप्सा ही तो केवल आजकल स्वीकार है!
स्वप्न में देखा गया है उजड़ता दरबार है,
सत्यान्वेषी मनुज भी, आजकल दो-चार हैं!
सत्य की बलिदान होती, जीना यहाँ बेकार है ;
पा जायेंगे हम लक्ष्य जिसदिन वही तो संसार है!
गणतंत्र के पावन दिवस नैया पड़ी मझधार है,
गणतंत्र की इस पीर से सबलोग शर्मसार हैं!
चौड़ी दरारों पर यहाँ अब उठ रही दीवार है,
कथनी-करनी में है अंतर कैसा कारोबार है ?
नैया है मझधार मालिक ! तीर पर पतवार है,
हे प्रभु! अब तो संभालो तेरा ही दरकार है !
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 21 January 2018

विनती

जाड़े के मौसम में अपराधों की बाढ़ आई है,
राम-राज्य की बातें अब क्यों नहीं देती सुनाई है?
बदली नहीं खबरें अख़बारों में हाहाकार जारी है,
जड़ें भी हिल नहीं पाई गुंडों की व्यापार जारी है।
रौशनी की उम्मीदों में चिराग उम्मीदों का जलाया है,
है अमावस की रात बाक़ी अभी अंधेरा का साया है।
ये फिंजां ये बहारें बदलने का समय नहीं हो रहा साकार,
हे राधे-कृष्ण! सुनो विनती फिर से आ जाओ एकबार!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 20 January 2018

मानव-श्रृंखला

*शराब बंदी* *बाल-विवाह-मुक्ति* और *दहेज-मुक्ति* को लेकर आज *बिहार* में *मानव-श्रृंखला* की चर्चा जोरों पर है। मेरी भी एक याचना है कि *अफसरशाही-उन्मूलन* और *भ्रष्टाचार-उन्मूलन* के लिए भी *मानव-श्रृंखला* का निर्माण लाजिमी है तभी हमारा *बिहार* गौरव के *उत्तुंग-शिखर* पर चढ़ सकेगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 19 January 2018

दु:खी रहने के कारण

अखंड-कीर्तन करने के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं हो रहा है फिर भी हम दु:खी हैं और...
*दुखी रहने के कारण*
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1. देर से सोना देर से उठना.
2. लेन-देन का हिसाब नहीं रखना.
3. कभी किसी के लिए कुछ नहीं करना.
4. स्वयं की बात को ही सत्य बताना.
5. किसी का विश्वास नहीं करना.
6. बिना कारण झूठ बोलना.
7. कोई काम समय पर नहीं करना.
8. बिना मांगे सलाह देना.
9. बीते हुए सुख को बार-बार याद करना.
10. हमेशा अपने लिए सोचना.
दिमाग ठंडा हो, दिल में रहम हो, जुबान नरम हो और आँखों में शर्म हो तो फिर सब कुछ आपका  है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 18 January 2018

यज्ञ

चाहे कोई कितना भी यज्ञ करे, कितना भी अनुष्ठान करे, कितना भी दान करे, कितनी भी भक्ति करे लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लिए प्रेम नहीं होगा, प्रभु से मिलन हो ही नहीं सकता।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 17 January 2018

आत्म-स्वरूप

सर्वशक्तिमान आप हैं परन्तु अपने-आप को विस्मरण कर चुके हैं। हम आनंद की खोज में भटक चुके हैं। ऊपर से नीचे गिर गए हैं। पुनः नीचे से ऊपर उठने की प्रक्रिया को ही आत्म-दर्शन कहा गया है। इसीलिए पुन: अपने स्वरुप की प्राप्ति हेतु हमें सांसारिक रुप में अवस्थित होना पड़ा। मानव-तन की प्राप्ति इसी हेतु हुई है। इसबार भी सांसारिक-पथ पर अगर हम मार्ग भूल जाएं तो समझिए हमारा सर्वनाश सुनिश्चित है लेकिन कोई अगर भक्ति और प्रेम के पथ में भटक जाए तो कल्याण ही हो जाए..! अब प्रश्र उठता है कि भक्ति और प्रेम है क्या ? बस सम्यक भाव से कर्त्तव्यों का निर्वहन ही भक्ति और प्रेम है। कहा भी गया है कि कर्म किए जा फल की चिंता मत कर ऐ इंसान, जैसा कर्म करेगा वैसा फल देगा भगवान...! भगवान को खोजने मत जाइए, कहाँ खोजिएगा भगवान को ? हमसबों को तो कुछ अता-पता भी नहीं है परंतु हमें सदैव नैतिकता पूर्ण अपने कर्त्तव्य-पथ पर अग्रसर रहना चाहिए। हमें तो भगवान की प्रतीक्षा न कर केवल अपने कर्त्तव्यों का निर्वहन करते रहना चाहिए। वो तो खुद खोजते-खोजते हमारे द्वार पर आकर खड़े हो जायेंगे। जैसे शबरी को खोजते-खोजते भगवान स्वयं उसके कुटिया पर आ गए थे।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 16 January 2018

समय

मेरा मानना है कि जीवन में 'समय' का सबसे बड़ा महत्त्व है। मैंने अपने जीवन के सबसे कठिन समय से ही सबसे ज्यादा कुछ सीखा है। मैंने जब विपरीत परिस्थितियों में ख़ुद को अकेला पाया तो जीवन को करीब से जाना और सीखा। मैं आज अपने जीवन के वैसे तमाम कठिन परिस्थितियों को गुरु के रूप में मान कर उनका शुक्रिया अदा करता हूँ क्योंकि उन्होंने मुझे ज्यादा मज़बूत और निश्चयवान बनाया है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 15 January 2018

व्यावहारिकता

जनता में कोई खुशी आये तो कैसे आये ?
पांच वर्ष साथ रहा दर्द महाजन की तरह
दाग़ जनता में है कि राजनेता में पता तब होगा
मौत जब आयेगी कपड़े लिए धोवन की तरह
हर किसी शख्स की किस्मत का यही है किस्सा
आया राजा की तरह जाएगा निर्धन की तरह
जिसमें इंसान के दिल की न हो धड़कन यारो
शायरी तो है वह अखबार की कतरन की तरह
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 14 January 2018

दहेज कोढ़ है

देखो रे लाला दुनिया का खेल निराला
******************************
वो कैसा साधु बन बैठा नहीं समझ में आया
दिन को बैठे माला फेरे रात में डाका डाला
देखो रे लाला...................................
बाप उठाकर हल कंधे पर गया जोतने खेत
खूब कमाया बेटा खातिर रुपये कर दी ढाला
देखो रे लाला.....................................
बेटा चला पढ़न पटना को रुपए-पैसे लेकर
चला सिनेमा छोड़ पढ़ाई कमरे में लगाया ताला
देखो रे लाला......................................
बिछा खाट पत्नी बैठी,पति जी आये अॉफिस से
तेललगा पत्नी के बदन उसने मालिश कर डाला
देखो रे लाला......................................
कभी न खाए हलवा-पूड़ी खाया सबदिन रोटी
आज मिला घी का पूड़ी घर में आया जो साला
देखो रे लाला......................................
सास-ससुर पैसे के खातिर गली-गली हैं मारे
पर पतोहू अपने रुपए को ब्याज में दे डाला
देखो रे लाला......................................
बेटी की शादी है घर में बाप है ग़म के मारे
बेटा को है फिकर नहीं चाहे बाप हो मरनेवाला
देखो रे लाला.......................................
आज दिवाकर रंगमंच पर सुना रहा यह गाना
कोई तो उठकर बोलो क्या झूठ-मूठ कह डाला
देखो रे लाला.......................................
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 13 January 2018

हर घर नल का जल

नमस्कार दोस्तो !
बिहार-सरकार के "सात निश्चय-विकास की गारंटी" के तहत निश्चय-4 के अंतर्गत हर घर नल का जल,
चाहे अपने घर में लाभान्वित रहें या न रहें पहुँच तो गया हर घर नल का जल।
यह दृश्य किस पंचायत के किस वार्ड का है हम बता नहीं सकते
क्योंकि संबंधित मुखिया व  बिचौलियों को पड़ जायेगा बल,
भले ही अब देखना है कि ग्रामीणों को उक्त मार्ग से गुजरने में दिक्कतों का सामना करना कबतक रहेगा प्रबल ?
।। श्री परमात्मने नमः।।

देश-प्रेम

नमस्कार!
मकर संक्रांति के अवसर पर आप सबों को अग्रिम शुभकामनाएं!!!
यह सर्वविदित है कि सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रमण-काल कहा जाता है। सूर्य कल धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करने जा रहा है इसी को मकर-संक्रांति कहा जाता है। राशियों और ग्रहों का प्रभाव तो संपूर्ण ब्रह्माण्ड में सार्वभौमिक है। हम मानव भी इससे अछूते नहीं हैं। मानव के पारस्परिक विचारों का भी संक्रमण अवश्यसंभावी है। हम यह भी कह सकते हैं कि मकर-संक्रांति का ही दूसरा रूप विचार-संक्रांति है। विचार-संक्रांति के जरिए हम बिहार के विकास में तब्दीली ला सकते हैं। मैं जो कहने जा रहा हूँ वह मेरा अपना विचार नहीं है बल्कि समाज में व्याप्त विचारों को मेरे द्वारा सिर्फ साझा भर किया जा रहा है इसे मानना या नहीं मानना आपपर निर्भर है। यदि इन विचारों से कोई असहमत हैं तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ। संप्रति हम सबको यह मालूम होना चाहिए कि पुलिस वफादार जब भी होगी तो केवल और केवल सरकार के प्रति क्योंकि पुलिस को सरकार से अर्थ की सिद्धि होती है चाहे सरकार किसी प्रकार की हो। सबों ने सुना होगा कि पुलिस ने पत्थरबाजों को घसीट-घसीट कर पीटा। वास्तव में पुलिस तो सरकार का संरक्षक है चाहे सरकार सकारात्मक हो अथवा नकारात्मक! पुलिस उन कारणों को नहीं ढूंढ सकती है जिन कारणों से जनता उग्ररूप धारण कर चुकी है। पुलिस को इससे क्या मतलब? उसने तो सरकार के संरक्षण का जिम्मा ले रक्खा है। दूसरी बात हमको अभीतक यह समझ में नहीं आ रहा है कि सरकार अपना गुणगान घूम-घूम कर क्यों कर रही है? वाह रे लोकतंत्र ? आपने बादलों को यह कहते सुना है कभी कि वह पानी बरसाता है या सूरज को ऐसा कहते सुना है कभी कि वह प्रकाश फैलाता है परंतु हम मानवों को पता नहीं क्या हो गया है कि हम अपनी प्रशंसा खुद चाहते हैं चाहे हम सकारात्मक कर्म करें अथवा नकारात्मक? हाँ एक जमाना था कि सिपाही विद्रोह हुआ था परन्तु फिलहाल ऐसा कुछ लक्षण प्रतीत नहीं हो रहा है। मुझे तो ऐसा महसूस हो रहा है कि लोकतंत्र का खात्मा शीघ्रातिशीघ्र होनेवाला है। ऐसे भी सुनने में आया है कि कोई भी तंत्र १०० वर्षोंं से अधिक जीवित नहीं रह पाता है। अब आप अंदाजा लगा सकते हैं कि हमारा लोकतंत्र कबतक जीवित रहेगा? केवल राष्ट्र-गान गाने से और तिरंगा को सम्मान करने से हम देशभक्त नहीं हो सकते।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 11 January 2018

कौन

                         *कौन*
मैं रूठा गर तुम भी रूठ गए फिर मनाएगा कौन ?
आज दरार है कल खाई होगी फिर भरेगा कौन ?
मैं भी चुप और तुम भी चुप फिर चुप्पी को तोडे़गा कौन ?
छोटी-छोटी बातों को लगा लोगे दिल से तो फिर रिश्ता को निभाएगा कौन ?
दु:खी मैं भी और दु:खी तुम भी तो सोचो फिर हाथ बढ़ाएगा कौन ?
न मैं राजी न तुम राजी फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
डूब जाएगा यादों में दिल कभी तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
एक अहं मेरे भीतर और एक अहं तेरे भीतर भी फिर इस अहं को हराएगा कौन ?
ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें
तो कल फिर इस बात पर पछतायेगा कौन ?
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 10 January 2018

नाता

जो बेगुनाहों को है सताता
कभी न वो सुख से बैठ पाता।
बड़े-बड़े मिट गए सितमगर
तुझे क्या इसकी खबर नहीं है।
संभल-संभल अब भी ओ लुटेरे
है तेरे पापों का अंत आया।
कि जुल्म करने में तूने जालिम
ज़रा भी रक्खी कसर नहीं है।
जो स्वार्थवश है जीवन बिताता
प्रभु से नाता है टूट जाता।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 9 January 2018

मेरा विचार

नमस्कार!
इस ब्लॉग पर संप्रेषित मेरा विचार आपको कैसा लगता है? संप्रेषण तो सर्वमान्य कदापि नहीं हो सकता और नहीं मैं सबको खुश कर सकता हूँ. कमेंट करनेवाले न जाने किस भाव से कमेंट करते हैं और पढ़ने वाले न जाने किस भाव से पढ़ते होंगे. मैं नतो किसी राजनीतिक दल का हिमायती हूँ न किसी का विरोधी. हाँ इतना जरुर है कि मैं राष्ट्र के समग्र जनता के विकास का हिमायती हूँ. मैं आध्यात्मिक परिवेश को अधिक पसंद करता हूँ तो आइए हम अपना व्यवहार इस तरह बनाएं कि वह गणित के शून्य की तरह हो ताकि किसी के साथ जुड़ने पर उसकी कीमत बढ़ जाये ताकि लोकतांत्रिक प्रणाली के सिसकते साज को नई आवाज मिले परंतु हमें ऐसा एहसास हो रहा है कि न जाने कौन सुनेगा किसे सुनाऊं व्यथा-कथा अरमान की, परस्पर *राजनेता* लड़ते जनता सुखी नहीं *हिंदुस्तान* की...?
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 8 January 2018

समाधान क्यों नहीं?

प्रणाम सर जी!
किसी भी प्रकार के बुराइयों की सूचना तो दी जा सकती हैं परंतु अक्सर देखा गया है कि सूचक का नाम शिकायत-कर्त्ता के रूप में सार्वजनिक हो जाता है और बेचारा लोगों की नजरों से गिर जाता है फिर उसे खामियाजा भी भुगतना पड़ता है। जाहिर है कि कोई भी व्यक्ति शिकायत करने से डरता है। वास्तव में यदि शिकायत-कर्त्ता का नाम गुप्त रखा जाय और शिकायतों का निराकरण किया जाय तो हमारे समाज में बुराइयों का खात्मा सुनिश्चित है। बाल-विवाह क्या? शौचालय निर्माण में घोटाला क्या? शराब का धंधा क्या? दहेज लेना और देना क्या? इन सबों की जानकारी प्राय: लोगों को ज्ञात रहती है लेकिन उसके समाधान के लिए किसको पड़ी है। पुलिस को पता नहीं है कि शराब कहाँ चुलाई जाती है? हाँ जब ज्यादा दबाव पुलिस पर पड़ती है तभी वह सुगबुगाती है। मैं दावे के साथ कह सकता हूँ कि जबतक बिहार में पुलिस-प्रशासन चुस्त-दुरुस्त नहीं होगी तबतक सामाजिक बुराइयों का अंत असंभव है। मैं यह भी जानता हूँ कि फेसबुक पर ऐसी पोस्टिंग करके बेकार की मगजमारी करता हूँ। कुछ होना-जाना तो है नहीं ? फिर भी फेसबुक मित्रों की मांग को देखते हुए ऐसा करना पड़ता है। हम तो फेसबुक पर पोस्ट करना भी छोड़ दिए थे क्योंकि इससे कुछ होता नहीं है। मैंने कल पीएमओ को ऑनलाइन शिकायत की है। ई-मेल भी किया हूँ। संप्रति हिंदुस्तान में केवल और केवल राजनेताओं को प्रशंसा चाहिए उन्हें शिकायतों के समाधान से कोई मतलब नहीं है। धन्य हो ऐसे लोकतांत्रिक प्रणाली का....!  विशेष अगले कड़ी में--->
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 7 January 2018

पहल

प्रजातांत्रिक प्रणाली की ललकार....
मत कीजिए इसे इनकार.....
चाहे किसी की हो सरकार.....
संप्रति जनता की यही पुकार......
सरकार क्यों नहीं करती चोरों पर वार .....?
ओ! शायद इनको रहना है दिन-चार.....!
अपने सामान की रक्षा स्वयं करो भाई....
इस पर करो विचार.....!
पीएमओ, डीएम, थानाध्यक्ष को
शिकायत करना भी है बेकार....?
देख रहे हैं न गोपालबाद गाँव में
ट्रैक्टर की चोरी हो रही बार-बार.....!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 6 January 2018

खुशहाली

चारों ओर बर्फीली हवा से शीतलहर है जारी
पकड़े कौन चोर को भाई किसे पड़ी दरकारी
त्राहिमाम कर रहे चोर से लोग जहाँ
हाथ पे हाथ रखे बैठी है पुलिस वहाँ
बाल-विवाह उन्मूलन की है हो रही तैयारी
शौचालय घोटाले में तब होती मारामारी
मिड-डे मील में हो रही है घपले की आशंका
शिक्षा में अव्वल बिहार है बाज रही है डंका
मीडिया भागे नेता पीछे, बेटा पीछे बाप
सूरज ठिठुर रहा है देखो चाँद उगलता ताप
छोड़ पढ़ाई चलो सड़क पर नारे खूब लगाओ
उन नारों को दीवारों पर जगह-जगह चिपकाओ
शराबबंदी सफल हुआ अब बाल-विवाह को रोको
दहेज-विरोधी नारों में अपनी शक्ति को झोंको
अब मुकाम है दूर नहीं जन-जन की यही पुकार
होगा फिर खुशहाल हमारे गाँव का हर परिवार
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 5 January 2018

किरण

आर्यावर्त २६ जनवरी १९८१ में प्रकाशित
              * किरण भर दो *
         " पोद्दार रामावतार अरुण "
तुम मेरे मुरझाये मन में
फिर से आनंद-किरण भर दो !
          पर-कटी चिड़ैया-सी मेरी
          आकुल-व्याकुल जीवित आशा
          दु:ख की ज्वाला से झुलस गयी
          रसमय मेरी अपनी भाषा
तुम मेरे जर्जर जीवन में
फिर से नूतन जीवन भर दो ?
           कोयल कोई भी नहीं कहीं
           जो मेरे पतझड़ में कूके
           मर्मस्थल में जो व्यथा छिपी
           वह कौन कि जो देखे छूके
तुम मेरी नंगी डालों में
फिर से दो-चार सुमन भर दो !
            प्राणों में पीड़ा-ही-पीड़ा
            हर क्षण अंगार उगलती है
            मन के कोने में किंतु अभी
            दीपिका प्रेम की जलती है
तुम मेरी मूर्छित साँसों में
फिर से स्वच्छंद झनन भर दो !

Wednesday 3 January 2018

तुलनात्मक

२६ जनवरी १९८१ "आर्यावर्त"
           * लोकतंत्र-परलोकतंत्र *
              (श्री रामदयाल पांडेय)
      अनुस्यूत परलोकतंत्र से
      क्यों न देशका लोकतंत्र हो ?
क्या इहलोक-भोग तक सीमित
दृष्टि कभी होती विशाल है ?
क्या हिमगिरिके तुंग शिखर तक
ही सीमित गति-प्रगति-भाल है ?
दमित-विजित जो हो न सकेगा,
रिपु क्या ऐसा भी कराल है ?
क्या दिक्काल करेंगे शासित ?
कालजयी भारत मराल है ;
         तभी स्वस्थ है लोकतंत्र, जब
         मानवका चिंतन स्वतंत्र हो।
अहित किसीका कभी काम्य क्या ?
सदा सर्वहित ही मनुजोचित ;
प्रेय श्रेयसे अनुस्यूत हो,
यही उभय लोकों में वांछित ;
और, सदा परमार्थ निहित ही
स्वार्थ काम्य हो सकता है नित ;
सीमित शक्ति सदा सत्ताकी,
पर, आत्माकी शक्ति असीमित ;
          सदा लोकहित और लोकसुख
          लोकतंत्रका मूल मंत्र हो।
नोट:--> तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता है तब में और अब में ....!

Tuesday 2 January 2018

अवैध चुनाव

हमको यह बात समझ में नहीं आ रहा है कि जब नालंदा जिला स्थित सरमेरा प्रखंड में ग्राम पंचायत चुनाव संबंधित परिसीमन पूर्व से ही उपलब्ध नहीं है तो 2016 में त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव संपन्न कैसे किया गया? धन्य हो सुशासन बाबू के गृह जिले की ऐसी स्थिति का....? ऐसे में तो उक्त पंचायत के सारे जनप्रतिनिधियों का चयन अवैध होना चाहिए। हाय रे..! लोकतंत्र का करिश्मा...? भगवान बचाए उक्त पंचायत को....! प्रत्यक्षं किं प्रमाणं? नीचे दिए गए तस्वीर का अवलोकन करने से मामला स्पष्ट दृष्टिगोचर हो जायेगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।