Saturday 31 March 2018

कदाचारिता

कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ? व्यथा-कथा है गाँव की...!
ग्राहक सारे परेशान हैं आस लगी उचित ठहराव की...!!
सेवा में,
         अध्यक्ष,
         प्रधान कार्यालय,
         म.बि.ग्रा.बैं.
         पटना- 16
विषय- एम.बी.जी.बी. शाखा कार्यालय गोपालबाद के
          खजांची द्वारा कदाचारिता,
महाशय!
          नम्र निवेदन है कि मैं दिवाकर प्रसाद, पिता- स्व. शिवनंदन प्रसाद, ग्राम+पो.- गोपालबाद, वाया- सरमेरा, जिला- नालंदा का स्थायी निवासी हूँ। मैं उक्त विषयक बैंक में 31.03.2018 को अपने और अपनी पुत्री के खाते में रकम जमा करने गया था परन्तु खजांची अभिषेक कुमार ने खाताधारी नारायणी के रकम को यह कहते हुए जमा नहीं लिया कि खाताधारी बैंक में उपस्थित नहीं है और रकम भी दस हजार से कम है। जब मेरी बारी आई तो मेरा भी रकम खजांची ने यह कहकर जमा लेने से इनकार कर दिया कि रकम दस हजार से कम है। यह रकम म.बि.ग्रा.बैं. ग्राहक सेवा केंद्र बेस ब्रांच गोपालबाद जाकर जमा करें जिसके सी.एस.सी. अजय कुमार हैं। जब मैं निराश होकर वापस लौट रहा था तो उक्त बैंक के प्रबंधक सतीश चंद्र प्रसाद ने मेरे और मेरे पुत्री नारायणी दोनों के रकम को जमा ले लिया। अब मैं श्रीमान से एक सवाल करना चाहता हूँ वह यह कि क्या एक पिता अपनी पुत्री के नाम से रकम जमा नहीं कर सकता है और दस हजार से कम रकम जमा करने के लिए बेस ब्रांच जाना अनिवार्य है? प्रमाण बतौर मैं प्रबंधक द्वारा रकम जमा लिए गये रसीद की छायाप्रति आवेदन के साथ संलग्न कर रहा हूँ। प्राय: ग्राहक उक्त खजांची से अप्रसन्न हैं। जांच द्वारा उक्त बात की संपुष्टि की जा सकती है।
              अतः श्रीमान से सादरानुरोध है कि उक्त विषयक मामले की जांच विधि-समम्त कराई जाय।
गवाह (1) उमेश प्रसाद           आपका विश्वासी
(2) बबलु प्रसाद,गोपालबाद,   दिवाकर प्रसाद
       31.03.2018                 मो. 8507358565

ऊर्जा

देश वासियो ! कृपया ऊर्जा का संरक्षण करें, दिन में निरर्थक बिजली-बल्ब न जलाएं!
प्रार्थी- दिवाकर प्रसाद, गोपालबाद, सरमेरा (नालंदा)

Wednesday 28 March 2018

गुमराह

आदमी आज इतना पराधीन क्यों ?
कोई चिड़ियों को उड़ना सिखाता नहीं!
हमने देखा है गुमराह होते हुए
रास्ता खुद जो अपना बनाता नहीं!
पूरी होती नहीं है मनोकामना
गाँव में है परस्पर जो नाता नहीं!
किस तरह जी सकेंगे सभी गाँव में
प्यार से कोई रहना सिखाता नहीं!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 27 March 2018

आशा

बनावट ही बनावट है कभी आशा करूं मैं क्या?
धरा पर भूख से व्याकुल मनुज भी आज मरते हैं।
सुनेगा कौन और किसको सुनाऊं आजकल यारो,
जमीं से आसमां को चूमने की बात करते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 26 March 2018

बदबू

दम्भ कितनों ने किया बेदाग दामन का मगर
कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ? बदबू उनके पास में,
देखते हैं सब मगर कोई पकड़ पाता नहीं
जिंदगी है उड़ रही इस तरह उपहास में!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 25 March 2018

तकरार

माता का दरबार! यहाँ आपसी तकरार क्या?
नफ़रत के सैलाब में क्यों सारा नगर डूब रहा?
आदमी अब आदमी से दूर होता जा रहा,
जागने की बात करके आदमी क्यों सो रहा?
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 24 March 2018

नाकारा दिन

भीतर से बाहर की चीजें देखूँ तो कैसे देखूँ ,
मन के भीतर धूप खिली है आँखों में अँधियारा दिन !
कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ घर-घर की ये बातें हैं,
दाता ने मुझको दे डाला इक नीरस नाकारा दिन !!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 23 March 2018

आस्था

चाहे हमारी आस्था की वस्तु सच्ची हो या झूठी हमें परिणाम तो मिलेंगे ही क्योंकि हमारा अवचेतन मन मस्तिष्क के विचार पर प्रतिक्रिया करता है! हमें तो बस सिर्फ इतना ही चाहिए कि आस्था को हम अपने विचार के रूप में देखें! इतना ही काफी है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 22 March 2018

दायित्व

ग्रामीण-परिवेश का एक नमूना यह भी है कि दिन में भी बल्ब जलते हैं। ग्रामीण केवल सरकार से सहयोग की अपेक्षा रखते  हैं परन्तु अपना दायित्व भूल जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 21 March 2018

स्वर्ग

आप अपने जीवन को स्वर्ग-स्वरुप बना सकते हैं  लेकिन इसे करने का एकमात्र तरीका यह है कि पहले आप अपने भीतर स्वर्ग बना लें। इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 20 March 2018

वापसी

आँख में डबडबा रहे आँसू कौन-सा दर्द गा दिया तुमने?
कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ कैसा दर्पण दिखा दिया तुमने?
पा चुका था मैं मौत का मंजिल फिर से वापस बुला लिया तुमने?
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 19 March 2018

असीम आनन्द

तनावपूर्ण विचार अवचेतन मन के सामंजस्यपूर्ण कार्य में बाधा डालती है। अतः हमें तनावपूर्ण जीवन से बचने के लिए अपने अवचेतन मन से शांति, सामंजस्य और दैवी विधान स्थापित करने को कहना पड़ेगा तभी हम अलौकिक शक्तियों का असीम आनंद उठा सकते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

तू ही तू

मेरे मालिक...! बस अब तू ही तू है! हे ईश्वर! जिस तरह मृग जलधारा की ओर भागता है उसी तरह मेरी आत्मा भी आपके लिए व्याकुल होती है क्योंकि सांसारिक जीवन से मेरा मन ऊब चुका है। बस अब आपका ही एक अवलंबन शेष है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 17 March 2018

नुकसान

हम नकारात्मक नजरियों के साथ पैदा नहीं हुए थे। हमने कभी यह सोचकर देखा है कि हमने कितनी बार क्रोधित होकर, डरकर, जलकर या बदले की भावना से खुद को कितना नुक़सान पहुँचाया है? जब हम नकारात्मक सोच से खुद को नुकसान पहुँचाते हैं तो ये जहर हमारे अवचेतन मन में दाखिल हो जाते हैं। जब हम अवचेतन मन को जीवनदायी विचार देंगे तो इसके भीतर से सभी नकारात्मक विचार मिटने लग जायेंगे। जब हम यह काम लगातार करते हैं तो सारा अतीत मिट जायेगा और अवचेतन मन उसे भुला देगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 15 March 2018

कौन

हम अंतहीन असीमित जीवन के शिशु, अमरता के वारिस और अनूठे हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 14 March 2018

डर

बुढ़ापे का डर शारीरिक और मानसिक ह्रास उत्पन्न कर सकता है। हमें उससे डरना नहीं चाहिए क्योंकि हमारे जीवन के सबसे उपयोगी वर्ष पैंसठ से पंचानवे तक हो सकते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 13 March 2018

अवचेतन मन

हमारे अवचेतन मन के पास इतनी समझदारी है कि वह सभी सवालों के जवाब जानता है। बहरहाल इसे पता नहीं होता है कि यह जानता है। यह हमारे साथ न तो बहस ही करता है और न पलटकर जवाब ही देता है। हम भले ही अपने चेतन मन में बाधा, अवरोध और विलंब की कल्पना करते हैं। नतीजतन हम अपने अवचेतन मन की बुद्धिमत्ता और ज्ञान का लाभ नहीं ले पाते हैं। हमें यह चाहिए कि डर, अज्ञान और अंधविश्वास के बजाय शाश्वत सत्यों और जीवन के सिद्धांतों के दृष्टिकोण से सोचना शुरू करें। दूसरों को अपने लिए सोचने की अनुमति न दें। अंततः हम पायेंगे कि हमारा अवचेतन मन उसे स्वीकार कर लेगा और हकीकत बना देगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 12 March 2018

सर्वोदय

हमारा मस्तिष्क बुरा नहीं है। प्रकृति की कोई भी शक्ति बुरी नहीं है। हाँ, यह हमपर निर्भर है कि हम प्रकृति की शक्तियों का कैसा प्रयोग करते हैं। ग्रामीण-परिवेश में हम अक्सर व्यक्तिगत स्वार्थ को लेकर सामने वाले को तुच्छ समझते हैं और अपने कार्य-सिद्धि हेतु असामाजिक गतिविधियों का तरजीह देने लगते हैं। वह यह कि दूसरे के कार्यों को गलत ठहराते हैं और उसी कार्य को स्वयं द्वारा संपादित होने पर उसे आदर्श मानते हैं। नतीजतन ग्रामीण-परिवेश में बहुजन हिताय बहुजन सुखाय की परिकल्पना धूमिल होती जा रही है। हमें सर्वोदय की भावना से प्रेरित होकर अपने कार्यों का संपादन करना चाहिए।
।। श्री परमात्मने नमः।।

बदलाव

हम दूसरों को जैसा बनाना चाहते हैं पहले स्वयं वैसे बनें। यदि हम अशांत और चिड़चिड़े हैं और चिल्ला-चिल्लाकर अप्रिय शब्द बोलते हैं तो अपने आप को बदलें! अपने आसपास के लोगों के अंत: करणों में परिवर्तन लाने का यही सबसे अच्छा उपाय है और तभी ग्रामीण-परवेश में सकारात्मक बदलाव संभव है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 11 March 2018

संस्कार

जिस दिन हम ये समझ जायेंगे कि सामने वाला व्यक्ति गलत नहीं है सिर्फ उसकी सोच हमसे अलग है उस दिन हमारे जीवन से दुःख समाप्त हो जायेंगे। यदि हम बड़प्पन के अभिलाषी हैं तो प्रभु के साथ-साथ हमें सबके सामने झुकना पड़ेगा क्योंकि बड़प्पन वह गुण है जो पद से नहीं संस्कारों से प्राप्त होता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 10 March 2018

जरूरत

अगर लोग केवल जरुरत पर ही हमें याद करते हैं तो
बुरा मत मानें बल्कि गर्व करें क्योंकि दीपक की याद तभी आती है जब अंधकार होता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 9 March 2018

तसल्ली

अकेले ही लड़नी होती है जिंदगी की लड़ाई क्योंकि लोग सिर्फ तसल्ली भर देते हैं साथ नहीं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 8 March 2018

शिक्षा

माता पिता और बच्चों को नियमित रूप से एक साथ मिलकर प्रार्थना और ध्यान करना चाहिए। इस तरीके से बच्चा अपने मां बाप के उदाहरण से भगवान के साथ संबंध रखना सीखता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 7 March 2018

प्रियतम

जब भगवान हमारी आत्मा के प्रियतम बनते हैं, हमारी आत्मा के सखा बनते हैं, हमारी आत्मा के माता, पिता, सहचर, गुरु बनते हैं तब हम धन्य हो जाते हैं। जीवन हर ओर से खुशी प्रदान करता जाता है। दूसरों के साथ संबंध आनन्द-प्रद अनुभव प्रदान करते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 6 March 2018

ग्रामीण-परिवेश

ग्रामीण-परिवेश में बड़ा सटीक उदाहरण है वह यह कि जमीन में बीज बो देने के बाद यदि हम थोड़े-थोड़े समय बाद उसे बाहर निकालकर यह देखते रहेंगे कि वह अंकुरित हुआ या नहीं तो वह कभी अंकुरित नहीं होगा। उसी प्रकार यदि हम हर बार प्रार्थना करते समय यह देखते रहेंगे कि ईश्वर की ओर से कोई संकेत आ रहा है या नहीं तो हमें कभी भी कोई संकेत नहीं आएगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 5 March 2018

मित्रता

हमारी सभी निधियों में मैत्री की निधि सबसे मूल्यवान है क्योंकि वह हमारे साथ इस जीवन के परे भी जाएगी। हमने जितने भी सच्चे मित्र बनाए हैं उन सब से हम मृत्यु का द्वार पार करने के बाद फिर से मिलेंगे क्योंकि सच्चा प्रेम कभी व्यर्थ नहीं जाता।
।।श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 4 March 2018

सद्गुुरु-कृपा

हे सद्गुरु! हे दयानिधान !
तूने दिया है सच का ज्ञान।
भूल न जायें यह एहसान,
हे सद्गुरु! हे दयानिधान!

काट दिया जो था बंधन,
मुक्त किया मेरा जीवन।
तेरी दया से लोक सुखी,
अपना है परलोक सुखी।
हे सद्गुरु! मैं हूँ नादान,
दे दो भक्ति का वरदान।
हे सद्गुरु! हे दयानिधान!

बैर दिलों से दूर किया,
प्रेम, प्रीति का दान दिया।
सुख देने वाले दातार,
तेरी सदा हो जय जयकार।
धन-धन सद्गुरु देना ध्यान,
कर पायें हम अमृत पान।
हे सद्गुरु! हे दयानिधान!

स्वरचित - - > दिवाकर प्रसाद

Saturday 3 March 2018

बंधन

जब आप किसी महान उद्देश्य या किसी असाधरण योजना से प्रेरित होते हैं तो आपके सारे विचार बंधन तोड़ देते हैं। आपका मन सीमाएं पार कर जाता है। आपकी चेतना का हर दिशा में विस्तार होता है और आप खुद को एक नए, महान तथा अद्भुत संसार में पाते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 2 March 2018

नवजीवन

लोकविमुख राजनीति, सकते में लोकतंत्र
गणतंत्र-भारत में घुटन नहीं चाहिए !
स्वाधीन-भारत में नैतिक सिद्धांत नहीं
मकसद हंगामे का हमें नहीं चाहिए !
आपस में प्रेम बिना जीवन है अस्त-व्यस्त
परस्पर आलोचना अब नहीं चाहिए!
अवसर मिल जाने पर बिक जाते लोग यहांँ
सह-जीवन, प्रेम और सह-विकास चाहिए !
उपलब्धियां अनेक हैं फिर भी है लाभ शून्य
लोकतांत्रिक राष्ट्र में नवजीवन चाहिए !
।। श्री परमात्मने नमः।।