प्रकृति देवी ने हर काम की सीमा बना दी है, उससे बाहर नहीं जाना चाहिए। रोटी जो जीवन देती है अधिक खा लेने पर विष बन जाती है और मार डालती है इसी प्रकार अगर प्रेम का दायरा संसार की ओर इतना बढ़ जाए कि मनुष्य उसी में भूल जाए तो वह हानिकारक
होता है और कष्टों में ढकेलता है।
Tuesday 31 January 2017
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Monday 30 January 2017
भक्ति
भक्ति तभी संभव है जब कोई भी मांग न हो, जब कोई अपेक्षा न हो, जब स्वयं का कोई विचार ही न हो सब कुछ मौन में परिवर्तित हो जाये, कहने को कुछ शेष रहे ही ना, शब्द उनकी कृपा में विलीन हो जाये।
Sunday 29 January 2017
दरिद्र कौन?
जिसके चित्त में असंतोष व अभाव का बोध है वही दरिद्र है, जिसकी चित्तवृत्ति विषयों में आसक्त नहीं है वह समर्थ-स्वतंत्र है और सदा शांति की अनुभूति करता है।
Saturday 28 January 2017
कामना
भक्ति में कामना जरा भी नहीं रहती अगर भक्ति में कामना रहा तो भक्ति का प्रश्न ही नहीं है अगर हमने परमात्मा से कुछ मांगा तो समझिए हम चूक गए।
Friday 27 January 2017
शांति
परमात्मा से मिलने पर ही शान्ति मिलती है। यह शरीर पृथ्वी का अंश है तो जब तक यह पृथ्वी में नहीं मिल जाता तब तक चलता-फिरतारहता है। अन्त में मरकर यह मिट्टी में मिल जाता है। यह पृथ्वी में ही पैदा होता है, पृथ्वी में ही रहता है और पृथ्वी में ही लीन हो जाता है। यह पृथ्वी को छोड़कर कहीं नहीं जा सकता इसी तरह जीव को जब तक परमात्मा की प्राप्ति नहीं होती तब तक इसकी यात्रा चलती ही रहेगी। यह जन्मता-मरता ही रहेगा, दु:ख पाता ही रहेगा। इसको कहीं शान्ति नहीं मिलेगी इसलिये मनुष्य को अपनी जो असली जिज्ञासा और लालसा है उसको जाग्रत करना चाहिये।
Thursday 26 January 2017
बुरा वक्त
किसी की मजबूरियों पर मत हँसिये कोई मजबूरियाँ ख़रीद कर नहीं लाता..! डरना है तो डरिये वक़्त की मार से क्योंकि बुरा वक़्त किसीको बताकर नही आता..!
Wednesday 25 January 2017
नसीब
वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इन्सान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे। कल क्या होगा कभी मत सोचिए, क्या पता कल वक्त खुद अपनी तस्वीर बदल दे।
Monday 23 January 2017
Sunday 22 January 2017
मन के नियम
मन के कुछ नियम हैं, मन के कुछ खेल हैं, उनमें एक नियम यह है कि जो चीज उपलब्ध हो जाए मन उसे भूलने लगता है जो मिल जाए, उसकी विस्मृति होने लगती है। जो पास हो, उसे भूल जाने की संभावना बढ़ने लगती है ! मन उसकी तो याद करता है जो दूर हो, मन उसके लिए तो रोता है जो मिला न हो और जो मिल जाए, मन उसे धीरे-धीरे भूलने लगता है ! मन की आदत सदा भविष्य में होने की है, वर्तमान में होने की नहीं !
Saturday 21 January 2017
परमात्मा
१. परमात्मा सब जगह हैं,
२. परमात्मा सब समय में हैं,
३. परमात्मा सब वस्तुओं में हैं और
४. परमात्मा सबके हैं।
Friday 20 January 2017
प्यार
प्यार कोई बारिस का नाम नहीं जो बरसे और थम जाये, प्यार सूरज भी नहीं जो चमके और डूब जाये, प्यार तो नाम है साँस का जो चले तो जिंदगी और रुके तो मौत बन जाये।
Thursday 19 January 2017
कल्याण
आध्यात्म तो अपनेआपको अंदर खोजता है और विज्ञान बाहर-बाहर खोजता है दोनों में तो पारस्परिक विरोध है यदि दोनों शक्ति मिल जाय तो इस संसार का कल्याण हो जायेगा।
Wednesday 18 January 2017
नफरत
छोटी सी जिंदगी है नफ़रत कब तक करेंगे?
घमंड न करें जिन्दगी में तकदीर बदलती रहती है,शीशा वही रहता है बस तस्वीर बदलती रहती है।
Tuesday 17 January 2017
गुण
फूल कितना भी सुन्दर हो,
तारीफ खुशबू से होती है...
इंसान कितना भी बड़ा हो,
कद्र उसके गुणों से होती है...
Monday 16 January 2017
वजह
चलो हंसने की कोई हम वजह ढूंढते हैं,
जिधर न हो कोई ग़म, वो जगह ढूंढते हैं !
बहुत उड़ लिए ऊंचे आसमानों में यारो,
चलो जमीं पे ही कहीं, हम सतह ढूंढते हैं !
छूटा संग कितनों का ज़िंदगी की जंग में,
चलो उनके दिलों की, हम गिरह ढूंढते हैं !
बहुत वक़्त गुज़रा भटकते हुए अंधेरों में,
चलो अँधेरी रात की, हम सुबह ढूंढते हैं !
Sunday 15 January 2017
अपमान
1. दरिद्र होकर दाता होना,
2. धनवान होने पर भी कंजूस होना,
3. पुत्र का आज्ञाकारी न होना,
4. दुष्ट लोगों की सेवा करना तथा
5. किसी का अहित करते हुए मृत्यु होना।
इन 5 कामों से अपमान ही मिलता है।
Saturday 14 January 2017
तरंग
आज्ञा चक्र के समीप की कोशिकाओं से एलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगें निकलती हैं। इन किरणों की शक्ति लेसर तरंगों से भी अधिक शक्तिशाली होती हैं। ये तरंगें स्थूल अवरोधों को भी पार कर जाती हैं।
तरंग
आज्ञा चक्र के समीप की कोशिकाओं से एलेक्ट्रो मैग्नेटिक तरंगें निकलती हैं। इन किरणों की शक्ति लेसर तरंगों से भी अधिक शक्तिशाली होती हैं। ये तरंगें स्थूल अवरोधों को भी पार कर जाती हैं।
Friday 13 January 2017
देहाभिमान
अपवित्रता का मूल देहाभिमान है और देहाभिमान के कारण पाप कर्म होते हैं। दुःख और अशांति के मूल कारण यह पाप कर्म है।
Thursday 12 January 2017
बंधन
शेर के मुँह मे आया हुआ शिकार भले ही बच जाये परंतु सत्गुरू के निगाह में आया हुआ साधक कभी नहीं बच सकता है। सत्गुरू उसे भव सागर से पार लगा देते हैं। शिष्य और गुरू का बंधन एक जन्म का नहीं होता है यह वह बंधन है जो जन्म जन्मांतर का होता है और
बाकी सब बंधन मरने के बाद हमारा साथ छोड़ देते हैं।
Wednesday 11 January 2017
पतन
जो समय गुरु-सेवन व भक्ति में लगाना है वह यदि जड़ पदार्थों में लगाया तो हम भी जड़त्व को प्राप्त हो जायेंगे। हमने अपना सामर्थ्य, शक्ति, पैसा और सत्ता अपने मित्रों व सम्बन्धियों में ही मोहवश लगाया तो याद रखिए कभी-न-कभी हम ठुकराये जायेंगे, दुःखी बनेंगेे और हमारा पतन हो ही जायेगा।
Monday 9 January 2017
परमार्थ
अपनी कमाई को आप ही खा जानेवाले को शास्त्रों में चोर माना गया है। अत: हमारा जीवन केवल स्वार्थ के लिए ही नहीं परमार्थ में भी लगना चाहिए क्योंकि मनुष्य को जो कुछ अन्य प्राणियों के अतिरिक्त मिला हुआ है वह श्रेष्ठ सत्पुरुषों के श्रम और त्याग का ही फल है। अत: संसार सत्प्रवृतियों के पुण्य प्रसार के लिए अपने समय, प्रभाव, ज्ञान, पुरुषार्थ एवं धन का एक अंश नियम्त रुप से लगाया जाना चाहिए।
Sunday 8 January 2017
धनी कौन?
अधिक धनवान होने पर भी जो असंतुष्ट रहता है वह सदा निर्धन है। धन से रहित होने पर भी जो संतुष्ट है वह सदा धनी है।
Friday 6 January 2017
सूर्य की उत्पत्ति
वैदिक और पौराणिक आख्यानों के अनुसार भगवान श्री सूर्य समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। ये ही अखिल सृष्टि के आदि कारण हैं। इन्हीं से सब की उत्पत्ति हुई है।पौराणिक सन्दर्भ में सूर्यदेव की उत्पत्ति के अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं। यद्यपि उनमें वर्णित घटनाक्रमों में अन्तर है, किन्तु कई प्रसंग परस्पर मिलते-जुलते हैं। सर्वाधिक प्रचलित मान्यता के अनुसार भगवान सूर्य महर्षि कश्यप के पुत्र हैं। वे महर्षि कश्यप की पत्नी अदिति के गर्भ से उत्पन्न हुए।
Thursday 5 January 2017
अरदास
ऐ मेरे मलिक !!!
आशीर्वाद की वर्षा करते रहो l
खाली झोलियां सबकी भरते रहो l
तेरे चरणों में सर को झुका ही दिया है l
गुनाहों की माफ़ी और दुःखों को दूर करते रहो ll
Wednesday 4 January 2017
Tuesday 3 January 2017
माया
मानव कितने भी प्रयत्न कर ले अंधेरे में छाया बुढ़ापे में काया और अंत समय में माया किसी का साथ नहीं देती।
Monday 2 January 2017
महत्त्वाकांक्षा
हमें अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्यों का निर्धारण करना चाहिए । महत्त्वाकांक्षा को जीवित रखने के लिए दूसरों की आलोचना करना हानि पहुँचाती है।
Sunday 1 January 2017
प्रेम
प्रेम को केवल महसूस किया जा सकता है प्यार के इस भाव व रूप को केवल महसूस किया जा सकता है। इसकी अभिव्यक्ति कर पाना संभव नहीं है। बिछोह का दुख, मिलने न मिलने की आशा-आशंका में जो समय व्यतीत होता है, वह जीवन का अमूल्य अंश होता है। उस तड़प का अपना एक आनंद है। प्यार और दर्द का एक गहरा रिश्ता है।