पराजय तब नहीं होती जब हम गिर जाते हैं बल्कि पराजय तब होती है जब हम उठने से इनकार कर देते हैैं! किसी के कहने से यदि अच्छा या बुरा होने लगे तो यह संसार या तो स्वर्ग बन जायेगा या पूरी तरह से नर्क! अतः यह ध्यान मत दीजिए कि कौन क्या कहता है! बस वही कीजिए जो अच्छा है और सच्चा है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 31 May 2018
पराजय
Wednesday 30 May 2018
जलील
जलील करके जिस फकीर को तूने किया रुखसत
वह भीख लेने नहीं बस तुझे देखने आया था!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Tuesday 29 May 2018
प्रभु से नाता
जो बेगुनाहों को है सताता
कभी न वो सुख से बैठ पाता।
बड़े-बड़े मिट गए सितमगर
तुझे क्या इसकी खबर नहीं है।
संभल-संभल अब भी ओ लुटेरे
है तेरे पापों का अंत आया।
कि जुल्म करने में तूने जालिम
ज़रा भी रक्खी कसर नहीं है।
जो स्वार्थवश है जीवन बिताता
प्रभु से नाता है टूट जाता।
।। श्री परमात्मने नमः।।
Monday 28 May 2018
प्रेम
चिड़चिड़ा जीवनसाथी आम तौर पर मान और सम्मान चाहता है! वह प्रेम और स्नेह का भूखा होता है! उसके कई अच्छे गुणों की तारीफ करें और उसे ऊपर उठाएँ! उसे दिखाएँ कि आप उससे प्रेम करते हैं! इसप्रकार हम कह सकते हैं कि जो जीवनसाथी एक दूसरे से प्रेम करते हैं वे शब्द, कर्म या मन में कोई प्रेमविरोधी या दयारहित काम नहीं करते हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 27 May 2018
उम्मीद
अपने जीवनसाथी के प्रति डर के विचार रखना बंद कर दें! उम्मीद एक किरण है जो हमें खुशी प्रदान करता है! हमें दूसरों पर आश्रित नहीं रहना चाहिए! हमें केवल अपने आप से उम्मीद रखनी चाहिए तभी हम और हमारा परिवार खुश रह सकता है! प्रेम, शांति, सद्भाव और तादात्म्य के विचार रखने पर ही हमारा वैवाहिक जीवन भी दिनोंदिन अधिक सुंदर और अद्भुत होता जाएगा!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Saturday 26 May 2018
हमदर्द
यदि हम अपने जीवन साथी के प्रति दुर्भावना, दुश्मनी, गुबार और चिढ़ रखते हैं तो हम मानसिक रूप से तलाकशुदा हैं! हम मानसिक रूप से अपने मस्तिष्क में उसकी गलतियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं! अतः अपने वैवाहिक कसमों पर चलें, "मैं जीवन भर उसे प्रेम और सम्मान देने का वादा करता हूँ!"
।। श्री परमात्मने नमः।।
Friday 25 May 2018
सरोकार
भगवान का स्मरण हम ऐसे करें जैसे प्यास से व्याकुल मनुष्य जल का स्मरण करता है! भूख से सताया हुआ मनुष्य जैसे भोजन का स्मरण करता है! घर भूला हुआ मनुष्य जैसे घर का स्मरण करता है! थका हुआ मनुष्य जैसे विश्रामका स्मरण करता है! भय से कातर मनुष्य जैसे शरण देने वाले का स्मरण करता है! डूबता हुआ मनुष्य जैसे जीवन रक्षा का स्मरण करता है! दम घुटने पर मनुष्य जैसे वायु का स्मरण करता है! परीक्षार्थी परीक्षा के समय जैसे विषय का स्मरण करता है! हे मेरे मालिक तेरा सुमिरन ही मेरा सहायक बने!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 24 May 2018
सुधार
अवचेतन मन की शक्तियां रात्रि-काल में अधिक सक्रिय होती हैं! अतः हम रात को सोते समय अपनी-अपनी आखें बंद कर यह स्मरण करें कि सुबह अपनी आखें खोलने से पहले हमारी जो चेतना सर्वप्रथम जगती है उस क्षण हमें किसका स्मरण होता है ? बस उसी का स्मरण अंत समय में भी होगा! अगर किसी को भगवान के अतिरिक्त किसी अन्य चीज़ का स्मरण होता हो तो अभी से वे अपने आप को सुधार लें और निश्चित कर लें कि हमारी आँखें खुलने से पहले हम अपने चेतन मन में भगवान का ही स्मरण करेंगे! बस हमारा काम बन जाएगा नहीं तो हम जीती बाज़ी भी हार जायेंगे!
।।श्री परमात्मने नमः।।
Wednesday 23 May 2018
समस्या
‘क्या मैं गुरु के बिना रास्ता नहीं खोज सकता?’
‘मैं इसे खुद क्यों नहीं कर सकता?’ देखिए आप घड़ी का इस्तेमाल करते हैं न ? मैं आपको घड़ी के सभी पुर्जे दे देता हूँ। आप घड़ी बनाकर दिखाइए। मैं आपको कंप्यूटर या अंतरिक्ष यान बनाने के लिए नहीं कह रहा हूँ। घड़ी जैसी मामूली चीज में आपको पूरा जीवन लग सकता है इसलिए आप घड़ी के लिए घड़ीसाज के पास जाते हैं तो किसी ऐसी चीज के लिए गुरु के पास जाने में कौन-सी समस्या है?
Tuesday 22 May 2018
एकता
किसी भी विदेशी ने हमें अपनी ताकत से नहीं बल्कि हमारी आपसी फूट के कारण गुलाम बनाया है। आज समाज तोड़ने वाली शक्तियां पूर्वकाल से ज्यादा सक्रिय हैं और उन्हें परास्त कर हमें सारे समाज को परम वैभव तक ले जाना है। सारा समाज मेरा अपना है- यह भाव जगाकर समाज रूपी ईश्वर की आराधना करनी होगी और इस भाव को वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक, व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में व्यावहारिक रूप में स्थापित करना होगा। आज हमें प्रत्येक व्यक्ति को संस्कारित करना पड़ेगा और भारत को एकता के सूत्र में पिरोने और स्वतंत्र रखने के लिए देश के लिए जीने-मरने वाले समाज का निर्माण करना होगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।
Monday 21 May 2018
सार्थक-जीवन
चार वेदों का अर्थ अगर हम नहीं जानते हैं तो कोई बात नहीं परंतु समझदारी, जवाबदारी, वफ़ादारी और ईमानदारी इन चार शब्दों का अर्थ अगर हम जान लेंगे तो हमारा जीवन सार्थक हो जायेगा और ऐसा गुरु-दरबार में ही संभव है।
।। श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 20 May 2018
सफर
लोगों को ऐसा कहते सुना होगा कि वह बीमारी से मर गया! सुना है यह भी कि गिला मौत से नहीं है मुझे ज़िन्दगी ने मारा! फिर जब कोई मरता है तो सुनते हैं बेचारा कैंसर से मर गया और मातम ही मातम! मरने का कारण तो जिन्दा होना है और जो जिन्दा है वही मरते हैं! एक मुसाफिर के सफर सी है दुनिया सबकी, किसी को अभी तो किसी को देर से जाना है तो फिर मौत पर मातम क्यों? शायद ये गम है अपनों से बिछड़ने का पर बिछरेगें सभी बारी बारी।
।। श्री परमात्मने नमः।।
Saturday 19 May 2018
भावना
हमने अपने भीतर जो भी भावनाएं संजोये हैं हमारा जीवन उसी का प्रतिबिंब है! यह हमेशा हमारे नियंत्रण में होता है कि हम अपने भीतर कैसी भावनाएं रखते हैं! अवचेतन मन की शक्तियां ही हमारे भीतर की भावना प्रर्दशित करती हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Friday 18 May 2018
व्यक्तित्व
लोगों का आदर केवल उनकी शक्ल या सम्पत्ति के कारण नहीं करना चाहिए बल्कि उनकी उदारता के कारण करना चाहिए! हम सूरज की कद्र उसकी उँचाई के कारण नहीं करते बल्कि उसकी उपयोगिता के कारण करते हैं! अतः व्यक्ति नहीं बल्कि व्यक्तित्व आदरणीय है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 17 May 2018
अध्यात्म
अवचेतन मन की शक्तियां हमें तभी समझ में आ सकतीं हैं जब हम अध्यात्म को समझ सकेंगे! अध्यात्म का अर्थ है अपने भीतर के चेतन तत्व को जानना, मानना और दर्शन करना अर्थात् अपने आप के बारे में जानना या आत्मप्रज्ञ होना! हम बेशकीमती हीरे हैं किन्तु हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि सामने वाला हमारी कीमत अपनी सामर्थ्य और अपनी जानकारी के अनुसार ही लगायेगा!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Wednesday 16 May 2018
क्षणिक संबंध
ग्रामीण-परिवेश में हम क्षणिक संबंधों, क्षणिक वस्तुओं को अपना जान कर उससे आनंद मनाते हैं जबकि हर पल साथ रहने वाला शरीर भी हमें अपना ही गुलाम बना देता है! हमारी इन्द्रियां अपने आप से अलग कर देती है! यह इतनी सूक्ष्मता से करती है कि हमें महसूस भी नहीं होता है कि हमने यह काम किया है ?
।। श्री परमात्मने नमः।।
Tuesday 15 May 2018
वर्तमान
यह कटु सत्य है पर कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ? दूसरों को प्रसन्न करने के लिए असत्य का मुखौटा पहनने वाले स्वयं का जीवन व्यर्थ करते हैं । सत्य को निसंकोच धारण करने वाले ही जीवन में आनन्द की अनुभूति कर पाते हैं! हमें केवल वर्तमान में जीने की राह पर सत्य का दामन थामकर सुख लेने का प्रयास करना चाहिए!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Monday 14 May 2018
भविष्य
हम ग्रामीण-परिवेश में ही क्यों न हों! ईश्वर कभी किसी का भविष्य नहीं लिखता! वह क्यों किसी के लिय सुख या दुःख का निर्माण करेगा! वह तो केवल हमारे कर्मों के अनुसार फल देने का कार्य ही करता है! कर्म करने के लिए हम स्वतंत्र हैं! आज की प्राप्ति भूतकाल के कर्म का परिणाम है और वर्तमान में किया कर्म भविष्य में परिणामस्वरूप समक्ष आयेगा!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 13 May 2018
नाराजगी
ईश्वर से मांगने पर यदि न मिले तो हमें नाराज नहीं होना चाहिए क्योंकि ईश्वर हमें वह नहीं देता जो हमको अच्छा लगता है बल्कि वह देता है जो हमारे लिए अच्छा होता है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Saturday 12 May 2018
नींद
नींद के दौरान हम आध्यात्मिक रूप से तरोताजा हो जाते हैं! जीवन में खुशी और स्फूर्ति लाने के लिए पर्याप्त नींद अनिवार्य है! नींद सलाह लाती है! अगर हम सोने जाते समय सही कर्म के लिए प्रार्थना करते हैं तो अवचेतन मन की बुद्धिमत्ता हमें निर्देश दे सकती है और हमारी रक्षा कर सकती है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Friday 11 May 2018
एतबार
किन सांसों पर एतबार किया जाये जो अंत में जीवन का साथ ही छोड़ जाये? किस धन पर एतबार किया जाये जो अंत में प्राणों को भी बचा नहीं पाये? किस तन पर अंहकार किया जाये जो अंत में आत्मा का बोझ भी नहीं उठा पाए?
।। श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 10 May 2018
नींद-प्रार्थना
हमारा चेतन मन दिन भर चिंताओं, संघर्ष और विवादों में उलझा रहता है! इसे समय-समय पर इंद्रियों के प्रमाण और यथार्थवादी जगत से दूर हटने तथा अवचेतन मन की आंतरिक बुद्धिमत्ता से मौन संप्रेषण करने की जरूरत होती है! हम मार्गदर्शन, शक्ति और अधिक ज्ञान का दावा करके जीवन के हर क्षेत्र की हर मुश्किल से उबरने में कामयाब हो सकते हैं! बस इसके लिए हमें इन्द्रिय प्रमाण और रोजमर्रा के शोर-शराबे व दुविधा से नियमित रूप से हटना होगा! हटते समय हम इंद्रियों की दुनिया के लिए सोए होते हैं और अपने अवचेतन मन की बुद्धिमत्ता तथा शक्ति के लिए जाग्रत होते हैं! यह भी एक प्रकार का नींद ही है जिसे प्रार्थना भी कहा जाता है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Wednesday 9 May 2018
नींद का चमत्कार
हमारी कई समस्याओं के समाधान हमें गहरी नींद में ही मिल जाते हैं! नींद में हमारा शरीर कभी आराम नहीं करता है! सोते समय भी हमारा दिल, फेफड़े और सभी महत्वपूर्ण अंग काम करते रहते हैं! अगर हम सोने से पहले खाते हैं तो खाना पच जाता है और पोषक पदार्थ सभी अंगों तक पहुँच जाते हैं! हमारी चमड़ी पसीना उत्पन्न करती है! हमारे नाखून और बाल बढ़ते रहते हैं! इसी तरह से हमारा अवचेतन मन कभी नहीं सोता है! यह हमेशा सक्रिय रहता है और हमारी सभी महत्वपूर्ण शक्तियों को नियंत्रित करता है! नींद में उपचारक प्रक्रिया ज्यादा तेजी से काम करती है क्योंकि तब हमारा चेतन मन कोई व्यवधान नहीं डालता है! नींद का यही चमत्कार है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Tuesday 8 May 2018
अभिव्यक्ति
आ गई आराधना अनुराग से आसक्ति तक
गीत सीमित हो गए उठकर सभा से व्यक्ति तक
साँझ से बैठो अगर तुम भोर तक तो कुछ कहूँ
बात अब आ ही गई अनुभूति से अभिव्यक्ति तक
।। श्री परमात्मने नमः।।
Monday 7 May 2018
निधि
दूसरों के प्रति घृणा, ईर्ष्या और वैमनस्य से मुक्त सहज व्यक्ति को कुछ छिपाने की आवश्यकता नहीं पड़ती! ऐसे ही व्यक्ति देश-दुनिया में कमाते हैं नाम चाहे वे गाँव-घर में हों गुमनाम..! हमें भी अपने विचार को संयमित रखने की जरूरत है क्योंकि संयत इच्छा से प्रेरित सदाचार करना ही चरित्र है जो मानव की स्थायी निधि है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Sunday 6 May 2018
सफलता के साझेदार
हमारा अवचेतन मन सफलता में साझेदार है जिसकी तीन पायदानें हैं! पहली पायदान उस काम का पता लगाना और करना है जिससे हम प्रेम करते हैं! जबतक हम अपने काम में प्रेम न करते हों तबतक संभवतः हम उसमें खुद को सफल नहीं मानेंगे भले ही दुनिया हमें बहुत सफल कहती रहे! काम से प्रेम होने पर हमारे मन में उसे करने की गहरी इच्छा होती है! सफलता की दूसरी पायदान काम की किसी विशिष्ट शाखा में विशेषज्ञता हासिल करना और उसमें उत्कृष्ट बनने की इच्छा रखना है! तीसरा कदम सबसे महत्वपूर्ण है! हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम जो करना चाहते हैं वह सिर्फ हमें ही सफल न बनाए! हमारी इच्छा स्वार्थपूर्ण नहीं होनी चाहिए! इससे मानवता को लाभ होना चाहिए! सर्किट पूरा होना चाहिए! अगर हम सिर्फ अपने ही लाभ के लिए काम करते हैं तो हम इस अनिवार्य सर्किट को पूरा नहीं करते हैं! हो सकता है कि हम सफल नजर आएँ लेकिन हमने अपने जीवन में जो शॉर्ट-सर्किट किया है वह आगे चलकर सीमा या बिमारी की ओर ले जा सकता है!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Saturday 5 May 2018
गलती
कौन है जिसे कमी नहीं है,आसमां के पास भी तो ज़मीं नहीं है! हर दर्द की दवा है इस जमाने में, बस किसी के पास किस्मत नहीं तो किसी के पास कीमत नहीं है! पर कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ? यदि हमने किसी का सदैव उपकार भी किया है और कभी उसके साथ छोटी-सी गलतियां कर बैठे हैं तो हम उसकी पहली नज़र में गिर जायेंगें और वह हमें छोड़कर सदैव के लिए हमसे संपर्क तोड़ लेगा!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Friday 4 May 2018
गरीबों का मजाक
हम यदि इसकी दैनिक घोषणा करें और इसे अपने दिल में लिख लें तो दौलत की सतत आपूर्ति होती रहेगी! *मैं अपने अवचेतन मन की असीमित समृद्धि के साथ एकाकार हूँ! अमीर, खुश और सफल बनना मेरा अधिकार है! धन मेरी ओर मुक्तता से, प्रचुरता से और अनंत रूप से प्रवाहित हो रहा है! मैं हमेशा अपने सच्चे मूल्य के प्रति सचेत हूँ! मैं अपनी प्रतिभाओं को मुक्तता से देता हूँ और मुझे अत्यधिक वित्तीय वरदान मिलते हैं! यह अद्भुत है!*
।। श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 3 May 2018
गलियों की दुर्दशा
ग्रामीण-परिवेश में इसतरह का दृश्य हमें बराबर देखने को मिलता है! यह दृश्य जो हम देख रहे हैं ग्रामीण-गलियों का है! हम खुद बता सकते हैं कि ग्रामीण-परिवेश में गलियों का क्या हाल है? कई महीनों से इस गली का ऐसा हाल है! सुशासन की सरकार में कोई किसी का सुननेवाला नहीं है! कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ? शिकायतों का निपटारा तो हो ही नहीं पाता है इसीलिए मैं आध्यात्मिक ब्लौगर के जरिए आपतक यह संदेश संप्रेषित कर रहा हूँ! भगवान बचाए आगे बढ़ते बिहार को....?
।। श्री परमात्मने नमः।।
Wednesday 2 May 2018
ईर्ष्या
यदि हम किसी के प्रति कटु और ईर्ष्यालु हैं जो ज्यादा सफल और दौलतमंद बन गए हैं! अगर ऐसा है तो हम अपनी मुश्किलें खुद पैदा कर रहे हैं! उनके बारे में नकारात्मक विचार रखकर और उनकी दौलत की निंदा करके हम दौलत और समृद्धि को खुद से दूर कर रहे हैं! जरा सोचिए क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति के पास रुकना पसंद करेंगे जो हमारी निंदा करते हों? ज़ाहिर है नहीं और दौलत भी ऐसा नहीं करेगी! हम उसी चीज को दूर भगा रहे हैं जिसके लिए हम प्रार्थना कर रहे हैं! एक तरफ तो हम कह रहे हैं कि दौलत हमारी ओर प्रवाहित हो और दूसरी तरफ यह भी कह रहे हैं कि उस आदमी की दौलत गंदी और बुरी चीज है! यह विरोध ही गरीबी और दु:ख की राह का सूचक है! अतः यदि हम दौलतमंद बनना चाहते हैं तो हमें यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि हम दूसरे व्यक्ति की दौलत पर हमेशा खुश रहें!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Tuesday 1 May 2018
थकन
पूछ रही है थकन पाँव की पगडंडी दिखला दो...२
हृदय मोम-सा पिघल रहा है,
सफर सुहाना निकल रहा है,
तन्हाई से डर लगता है, चुभ रही दिल में कीलें,
छूटे कुटुम्ब कबीले.......!
प्यार किया हूँ केवल तुमसे, एक बार मुस्का दो,
बस एक बार मुस्का दो..... पगडंडी दिखला दो...
टूट गए सपने.....हो न सके अपने......
तन्हाई से डर लगता है...चुभ रही दिल में कीलें...
छूटे कुटुंब कबीले...
प्यार किया हूँ केवल.............!
दिल में फूल खिले...अवसर यदि मिले.....
जो आँसू है तुमने सौंपे उनसे गिला नहीं है...
जीवन जो मिला नहीं है....?.
क्या बतलाऊँ ग़म का आलम........?
मंजिल तक पहुँचा दो....!
पगडंडी दिखला दो.... पगडंडी दिखला..!
(स्वरचित) दिवाकर प्रसाद,
नालंदा (बिहार)
मो. 8507358565