जब हम इसतरह की बात करते हैं, "काम चलाने के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं!" "काफी तंगी है!" "कर्ज की किश्त नहीं चुकाने के कारण मैं अपना घर गँवा दूँगा!" जब हम भविष्य के बारे में डरते हैं तब हम एक कोरा चेक लिख रहे हैं और नकारात्मक परिस्थितियों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं! हमारा अवचेतन मन हमारे डर तथा नकारात्मक कथन को हमारे आग्रह के रूप में स्वीकार करता है फिर वह अपने तरीके से काम शुरु कर देता है जिससे हमारे जीवन में बाधाएं, विलंब, कमी और सीमाएँ पैदा हो जाती हैं? अतः हमें नकारात्मक सोच से बचना चाहिए! हमें अवचेतन मन की शक्तियां पहचान कर सदैव सकारात्मक सोच ही अपनानी चाहिए!
।। श्री परमात्मने नमः।।
Thursday 26 April 2018
सकारात्मक सोच
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