Thursday 31 August 2017

विकसित देश

सभी मीडिया वालों से मेरा गुजारिश है कि वह गाँव की ओर भी अपना पैर पसारें क्योंकि फिलहाल हिंदुस्तान में ग्रामपंचायत की हालत नाजुक स्थिति में है। हम देख रहे हैं कि मुखिया के पास चुनाव के पूर्व जितनी संपत्ति थी उससे कई गुना अधिक संपत्ति एक साल के अंदर देखी जा रही है वह यह कि चुनाव के पूर्व मुखिया के पास बोलेरो गाड़ी नहीं थी और अभी वह बोलेरो पर घूम रहा /रही है। मनरेगा में काफी लूट मची हुई है। सभी मीडिया वालों को चाहिए कि वे सर्वे कर उक्त भ्रष्टाचार को उजागर करें ताकि महात्मा गांधी के सपने को साकार किया जा सके। जनहित की सबसे छोटी इकाई ग्राम पंचायत राज में यदि सुधार होगी तो हमारे देश को विकसित होने से कोई नहीं रोक सकता। धन्यवाद।

Tuesday 29 August 2017

अनुमान और अनुभव

अनुमान गलत हो सकता है पर अनुभव कभी गलत नहीं होता क्योंकि अनुमान हमारे मन की कल्पना है और अनुभव हमारे जीवन की सीख है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 28 August 2017

दाग

दर्पण जब चेहरे का दाग दिखाता है तब हम दर्पण नहीं तोड़ते बल्कि दाग साफ़ करते है ठीक उसी प्रकार हमारी कमी बताने वालों पर हमें क्रोध करने के बजाय अपनी कमी को दूर करना श्रेष्ठ है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 27 August 2017

जाल

किस द्वारे को दस्तक दें
और किस बस्ती को याद करें?
जान न पाते कहाँ रोशनी,
छाया कहाँ अँधेरा है?
जीवन है रेतीला सागर
साँसों में तड़पन मछली की,
जाल मुकद्दर का फैलाये
रहता यहाँ मछेरा है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 26 August 2017

संगति

जो मनुष्य बुरे आदमियों की संगति में तो नहीं बैठता लेकिन उनकी चीजों को इस्तेमाल करता है तो वह भी कुसंगी ही समझा जायेगा इसलिए इन सबसे बचना चाहिए।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 25 August 2017

हमदम

कौन जाने मेरे हमदम कि सुबह हो कि न हो
आज तो आओ ज़रा देर मचल कर सोएँ,
आग को खोजता शायद कोई फिर आ निकले
आज की रात चलो आग उगल कर सोएँ।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 24 August 2017

संतोषी वृत्ति

हमें सदैव संतोषी वृत्ति रखनी चाहिए। संतोषी व्यक्ति को अपने पास जो साधन होते हैं, वे ही पर्याप्त लगते हैं। उसे और अधिक की भूख नहीं सताती।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 23 August 2017

प्राथमिकता

हमें अपनी प्राथमिकता की ओर ही ध्यान देना चाहिए। हम अपने आप से सवाल करें, हमारा उद्देश्य क्या है, हमारा फोकस क्या है ? हमारा विश्वास, हमारी आशा कहाँ है? मझधार में फंसने पर हमें अपने इश्वर को याद करना चाहिए। उस पर विश्वास करना चाहिए जो कि हमारे हृदय में ही बसा हुआ है। जो हमारा सच्चा रखवाला और साथी है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 22 August 2017

कामना

सारी वस्तुओं को दिल से दूर हटा के तथा सारी कामनाओं को मिटा के तब प्रभु की सेवा में जाओ वरना भजन नहीं बन सकेगा। लेन-देन और व्यापार के समय भी जो उसे नहीं भूलता उसे ही भगवान पसंद करता है और अपने दिल में उसको जगह देता है।

Monday 21 August 2017

भगवान की कृपा

जिस पर भगवान की कृपा होती है,जिसको वह प्यार करता है उस पर मुसीबतें और बीमारियाँ आती ही हैं। कहते हैं एक दिन के ज्वर आने पर साल भर के पापों का प्रायश्चित हो जाता है इसलिये हर्षित होना चाहिये कि हमारा भोग समाप्त हो रहा है और हम शुद्ध बनते जा रहे हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

ईश्वरीय कृपा

ईश्वरीय कृपा तीन बातों से होती है-
  (1) खुशी, रंज और गुस्से में एक-सा रहना।
  (2) अमीरी और दरिद्रता में से किसी का      
         प्रभाव मन पर न आने देना।
  (3) बुरी कमाई का धन पेट में न जाने पाये
        इसका भय सदा रखना।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 18 August 2017

याद

बताओ अब कौन से मौसम में उन की आस लगाएँ हम..??
जब पहली बारिश में भी उन को याद ना आये हम.......!!!!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 17 August 2017

याद

कितने चेहरे हैं इस दुनिया में,
मगर हमको एक चेहरा ही नज़र आता है,
दुनिया को हम क्यों देखें,
उसकी याद में सारा वक़्त गुज़र जाता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 16 August 2017

धर्म और नीति

धर्म और नीतिके त्याग से एक बार भ्रमवश चाहे कुछ सुख-सा प्रतीत हो परन्तु वह सुखकी चमक उस बिजलीके प्रकाशकी चमक के समान है जो गिर कर सब कुछ जला देती है। धर्म और नीति का त्याग करने वाला रावण,  हिरण्यकश्यप, कंस और दुर्योधन आदि की भी एक बार कुछ उन्नति-सी दिखायी दी थी परन्तु अन्त में उनका समूल विनाश हो गया।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 15 August 2017

सत्गुरु

तेरी रहमतो के सहारे हम पलते रहे
तेरा ही नाम ले आगे बढ़ते रहे ...
तू हमसे नजर न फेरना कभी...
इक तू ही है जिसके सहारे हम चलते रहे...                          ये जग रूठे तो रूठे...
मेरा सत्गुरु कभी न रूठे...
हम जियें जब तक मेरे मालिक
तेरा दरबार कभी न छूटे.....
तेरी सेवा कभी ना छुटे....
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 14 August 2017

प्रभु

प्रभु
तुझसे न मेरा मन कभी हटे
तेरे बिन एक पल न कटे
कानों में वही जाए जो तू कहे
जिंदगी में बस तू ही रहे
आती नहीं करनी मुझे भक्ति
न ही मुझमें करने की है शक्ति
मेरी दुनिया तुझ तक ही रही है
पूरी कर दे मेरी ये विनती
इक खूबसूरत एहसास है तू...
जो हर सांस के साथ महसूस होता है मुझे..

Sunday 13 August 2017

गुरुर

न मेरा एक होगा न तेरा 'लाख' होगा ।
न 'तारीफ' तेरी होगी न 'मजाक' मेरा होगा।।
गुरुर न कर 'शाह-ए-शरीर' का,
मेरा भी 'खाक' होगा और तेरा भी 'खाक' होगा..
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 12 August 2017

युद्ध

कितने युद्ध अभी लड़ने हैं, साँझ उतरती आती है
अस्पताल-रवि, देख कि घायल पीठ नहीं यह छाती है
करे न जो समझौता दुनिया पागल उसको कहती है
क्या बतलाऊँ, पागलपन की मस्ती कितनी भाती है
कहते दुनिया स्वर्ग बनी है, नहीं शत्रुता शत्रु कहीं
आज शत्रुता मित्र-मुखौटा पहन खड़ी मुस्काती है
महानगर का सभ्य जगत यह जंगल अजब निराला है
धन-सत्ता के बल पर बकरी भी शेरों को खाती है
गलत बात यह भौतिक सुख से प्रेम-प्रीति का मेल नहीं
अब सोने के पिंजरे में ही चिड़िया बढ़िया गाती है
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 11 August 2017

कद्र

जिंदगी पर किस तरह से तीर बरसाते हैं लोग
जान तक पाते नहीं कब क़त्ल कर जाते हैं लोग
है अकेली सम्अ ये जलती रही जो रात भर
फिर क्यों तूफानी हवा बनकर यहाँ आते हैं लोग
अश्क की बरसात है रुकती नहीं जो एक पल
मुट्ठियों में रेत भरकर क्यों ये मुस्काते हैं लोग
हैं कहाँ ऐसे मसीहा ज़हर ग़म का बाँट लें
देखकर ग़मगीन चेहरे बुत-से बन जाते हैं लोग
है यहाँ इंसान की जो कद्र तुमसे क्या कहें
लाश पर मर्दानगी से तीर बरसाते हैं लोग
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 10 August 2017

अँधेरा

कदम-कदम पे अँधेरा है क्या किया जाए
नज़र से दूर सवेरा है क्या किया जाए
जहाँ पे हम हैं उस गाँव का ये आलम है
हरेक शख़्स लुटेरा है क्या किया जाए
जिन्हें मदद की जरूरत है आजकल यारो
उन्हीं पे जुल्म का घेरा है क्या किया जाए
हरेक चेहरे पे चेहरा चढ़ा हुआ है यहाँ
अब उलझनों में चितेरा है क्या किया जाए
जिधर भी जाओ सियासत ने उस तरफ 'दिवाकर'
हवा में ज़हर बिखेरा है क्या किया जाए
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 9 August 2017

सच्चाई

सूने-सूने बाग-बगीचे, सूना-सूना घर-आँगन
अँधियारे में राह ढूँढता, भटक रहा है पागल मन
अपने हित में सब जीते हैं,सबके अपने सपने हैं
कोई चाहे मान-प्रतिष्ठा, कोई चाहे दौलत-धन
इस दुनिया में मेरे भाई, नफ़रत है मक्कारी है
ढूंढ रहा हूँ बस्ती-बस्ती, मैं थोड़ा-सा अपनापन
मेरे आँगन में अंबर से आग बरसती है हर दिन
मैं क्या जानूं कैसी भादों,कैसा होता है सावन
हर इच्छा पूरी हो जाए, यह बिल्कुल नामुमकिन है
यह सच्चाई, टूट-टूटकर जान चुका है मेरा मन
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 8 August 2017

नफरत

भीतर विष लेकिन बाहर से हाथ मिलाकर हँसते लोग
आँखों में लेकर मिलते हैं नफरत के गुलदस्ते लोग
औरों के गुण-दोष हमेशा छलनी में से छान रहे
पर अपने गुण-दोष कसौटी पर जा कभी न कसते लोग
शीतल जल से भरी घटा तू कब बरसेगी धरती पर
जेठ-दुपहरी से झुलसाए जल को आज तरसते लोग
कहने को तो लाखों में भी बिकने को तैयार नहीं
अवसर मिलने पर बिक जाते कौड़ी से भी सस्ते लोग
रूप सुरक्षित रह सकता तो पर्दे में रह सकता है
जब भी रूप उठाये पर्दा बनकर तीर बरसते लोग
जाने-पहचाने चेहरे भी अनजाने से लगते हैं
दिन का उजियाला है फिर भी अंधकार में बसते लोग
सूरज चढ़ता है तो मुख पर और मुखौटे होते हैं
सूरज छिपता है तो मुख पर और मुखौटे कसते लोग
पहले तो 'दिवाकर' तुम्हारी 'हाँ' में 'हाँ' सब कहते थे
अब क्यों तुमको छोड़ चले हैं अपने-अपने रस्ते लोग

Monday 7 August 2017

समस्या

कितने जिस्मों पे नहीं आज भी कपड़ा कोई,
इस समस्या पे तो आयोग न बैठा कोई?
बात कुर्सी की बहुत गर्म है चौराहों पर,
डूबते गाँव की करता नहीं चर्चा कोई?

Sunday 6 August 2017

नमन

नमन है नमन सत्गुरु का नमन!
आज सत्संग में आना मुझे भा गया।
सत्गुरु हैं हितकारी और हैं मंगलकारी
कि नफरत मिटाना हमें भा गया।
भर दे जन्नत का सुख आज दामन में मेरे
मिट जाये दर्द सारे आज चरणों में तेरे।
भर दे जन्नत का सुख आज दामन में मेरे
मिट जाये द्वन्द्व सारे आज चरणों में तेरे।
ख़ता माफ़ कर दे ख़ुशी ग़म में भर दे
हे दाता! मैं तेरा मुरीद आ गया।
कभी बन के गोपी कभी बन के श्यामा
कभी बन कन्हैया कभी बन सुदामा।
बहाई है तुमने जो प्रीति की धारा
तू कण-कण समाया है ध्यान आ गया।
तू माली है जग का चमन मुस्कुराये
कोई फूल गुलशन में मुरझा न जाये।
फ़िजाओं में छाई है हर सूं बहारें
कि जन्नत से सुंदर मैं घर पा गया।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 5 August 2017

गुरुदेव

हर दिल में अपने प्यार की गंगा बहाइये
गुरुदेव सबको प्यार से रहना सिखाइये
नफरत की आँधियों से बचालो हमें गुरु
विषयों के दलदलों से निकालो हमें गुरु
दुनिया की हर बुराई से दामन बचाइये
गुरुदेव सबको प्यार से..................
दिल तोड़ना आसान है मुश्किल है जोड़ना
दुनिया का ये तस्तूर है रुला के छोड़ना
रोते दिलों को हे गुरु! फिर से हंसाइये
गुरुदेव सबको प्यार से....................
जख्मों पे जख्म होते रहे किससे हम कहें
सारा जमाना खुश हो अगर आप खुश रहें
दुनिया खुशी से झूम उठे मुस्कुराइये
गुरुदेव सबको प्यार से....................
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 4 August 2017

गलत

कभी-कभी ज़िंदगी में ये तय करना बड़ा मुश्किल हो जाता है कि गलत क्या है? वो झूठ जो चेहरे पे मुस्कान लाए या वो सच जो आँखों में आंसू लाए।

Thursday 3 August 2017

चोट

मैं खुश हूँ कि कोई मेरी बात तो करता है बुरा कहता है तो क्या हुआ वो याद तो करता है। कौन कहता है कि नेचर और सिग्नेचर कभी बदलता नहीं बस एक चोट की दरकार है अगर ऊँगली पे लगी तो सिग्नेचर बदल जाएगा और दिल पे लगी तो नेचर बदल जाएगा।
।। श्री परमात्मने नमः।।

याद

कुछ खूबसूरत पल अब भी याद आते हैं,
पलकों पर आँसू छोड़ जाते हैं,
कल कोई और मिले हमें मत  भूलना
क्योंकि कुछ रिश्ते जिन्दगी भर याद आते हैं|
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 1 August 2017

सीख

स्वीकार करने की हिम्मत और सुधार करने की नीयत हो तो इंसान बहुत कुछ सीख सकता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।