माँ ! हमारी भूल से जो-जो अपराध हमसे हुए हों उनको क्षमा करो! हमारे विचार शुद्ध करो और उनमें शक्ति दो, हम तेरी शरण आये हैं। हम आपकी आज्ञाओं का पालन नहीं कर सकते! इसमें हमारा केवल इतना अपराध है कि हमने तेरा सहारा नहींं लिया, अबतक अपने ही बल भरोसे पर कूदते रहे और इसीलिए हमारी यह दशा हो रही है। हमने तेरे महत्व को नहीं जान पाया। हम अभीतक यही समझते रहे कि मनुष्य अपने उद्योग से भी कुछ कर सकता है। आज यह समझ आई है कि बिना तेरी दया और कृपा के वह सफलता नहीं प्राप्त कर सकता है। वह तेरे बंधन में है। संसार तेरा बंदी गृह है। इससे शीघ्र हमारी मुक्ति करो माँ !
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