Saturday 31 December 2016

उत्तम वाणी

जिसकी वाणी उत्तम नहीं उसकी विद्या उत्तम कैसे होसकती है? जिसकी विद्या उत्तम नहीं उसको ज्ञान उत्तम कैसे हो सकता है?  जिसका ज्ञान उत्तम नहीं वह किसका मंगल कर सकता है? सर्व मंगल तो वही कर सकता है जिसकी वाणी, विद्या व ज्ञान उत्तम हो।

Friday 30 December 2016

दु:ख

जिंदगी वहीं की वही दुःख से भरी हुई है और जब भी कोई दुःखी हो जाता है वह भी इनके पीछे चला जाता है कि हमको भी गुरु मंत्र दे दें। हमारा भी कान फूंक दें कि हम भी इसी तरह सुखी हो जायें जैसे आप हो गये हैं लेकिन यह जिंदगी क्‍यों दुःख पैदा कर रही है। इसको देखने के लिए इसके विज्ञान को खोजने के लिए कोई भी जाता नहीं है।

Wednesday 28 December 2016

जीवन का सत्य

प्राकृतिक विधान में पूर्ण आस्था रखकर हम अपने शरीर, वस्तु, धन, बल, योग्यता, सामर्थ्य आदि का सदुपयोग करें तो हमें अपने साध्य की प्राप्ति होगी क्योंकि हर संयोग वियोग में, जन्म मृत्यु में और उत्पत्ति विनाश में बदलता है जो जीवन का सत्य है।

Tuesday 27 December 2016

परवाह

उनकी "परवाह" मत करें जिनका "विश्वास" वक्त के साथ बदल जाये। आप चुपचाप अपने कर्मों में लगे रहें। "परवाह" सदा उनकी करें जिनका "विश्वास" आप पर तब भी  रहे जब आप का “वक्त" बदल जाये....

Monday 26 December 2016

असर

जिस घर में ज्यादा लड़ाई होती है उस घर के बच्चों के दिमाग पर बिल्कुल वैसा ही असर पड़ता है जैसा युद्ध का सैनिकों पर.

तुलसी का पौधा

तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों से  औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है।

तुलसी का पौधा

तुलसी अत्यंत महत्वपूर्ण एवं उपयोगी पौधा है। इसके सभी भाग अलौकिक शक्ति और तत्वों से परिपूर्ण माने गए हैं। तुलसी के पौधे से निकलने वाली सुगंध वातावरण को शुध्द रखने में तो अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती ही है, भारत में आयुर्वेद चिकित्सा पध्दति में भी तुलसी का बहुत महत्वपूर्ण स्थान रहा है। तुलसी का सदियों से  औषधीय रूप में प्रयोग होता चला आ रहा है। तुलसी दल का प्रयोग खांसी, विष, श्वांस, कफ, बात, हिचकी और भोज्य पदार्थों की दुर्गन्ध को दूर करता है।

Saturday 24 December 2016

प्रेमी हृदय

जिस दिल में दर्द न हो वहां प्यार का एहसास भी नहीं होता। किसी के दूर जाने पर जो खालीपन लगता है जो टीस दिल में उठती है वही तो प्यार का दर्द है। इसी दर्द के कारण प्रेमी हृदय कितनी ही कृतियों की रचना करता है। प्रेम तो हो जाने वाली चीज है प्रेम में नकारात्मक सोच के लिए कोई जगह नहीं होती।

Friday 23 December 2016

तुलसी के पौधे

वास्तु दोष को दूर करने के लिए तुलसी के पौधे अग्नि कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व से लेकर वायव्य उत्तर-पश्चिम तक के खाली स्थान में लगा सकते हैं यदि खाली जमीन ना हो तो गमलों में भी तुलसी को स्थान दे कर सम्मानित किया जा सकता है.

Wednesday 21 December 2016

तनाव

मैं ऐसा किसी भी तनाव को नहीं जानता जो लगातार एक घंटे तक कोई किताब पढ़ने से शांत नहीं होता।

स्नेह का प्रदर्शन

दुष्ट व्यक्ति स्वार्थ पूर्ति के लिए स्नेह का प्रदर्शन करता है और प्रयोजन पूर्ण होते ही संबंध विच्छेद कर लेता है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Monday 12 December 2016

शरीर का परिवर्तन

मानव का शरीर हर ग्यारह महीने में नया बन जाता है। अत: अपने विचार बदलकर अपने शरीर को बदल दें।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Sunday 11 December 2016

सामान्य हित में अवचेतन

मानव का कल्पनावादी मन निरंतर सामान्य हित में काम करता है और सभी चीजों के पीछे सामंजस्य के निहित सिद्धान्त को प्रदर्शित करता है। मानव के अवचेतन मन की अपनी खुद की इच्छा है और यह अपने आप में बहुत वास्तविक है। मानव चाहे या न चाहे यह दिन-रात काम करता है। यह मानव के शरीर का निर्माता है लेकिन मानव इसके निर्माण को देख , सुन या महसूस नहीं कर सकता। यह बिल्कुल खामोश प्रक्रिया है। मानव के अवचेतन का अपना खुद का जीवन है जो हमेशा सामंजस्य, सेहत और शांति की ओर होता है। इसके भीतर दैवी मानदंड है जो मानव के माध्यम से हर समय अभिव्यक्ति चाहता है।

Saturday 10 December 2016

अवचेतन शक्तियाँ

महान कलाकार, संगीतकार, कवि, वक्ता और लेखक अपनी अवचेतन  शक्तियों के साथ सामंजस्य बना लेते हैं और प्रेरित हो जाते हैं ।

Friday 9 December 2016

अवचेतन का कार्य

अवचेतन मन का झुकाव जीवन की तरफ है।
मानव का 90% से अधिक मानसिक जीवन अवचेतन है। अगर मानव इस अद्भुत शक्ति का प्रयोग नहीं करेगा तो मानव बहुत संकीर्ण सीमाओं में जीने के लिए अभिशप्त होगा।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Thursday 8 December 2016

कारण और निवारण

हमें अपनी परिस्थितियों और स्थितियों से संघर्ष नहीं करना चाहिए, इससे समय और मेहनत की भयंकर बर्बादी है। परिस्थितियाँ और स्थितियाँ तो किसी कारण से उत्पन्न हुईं हैं जिसे हम चेतन मन का प्रयोग करके उत्पन्न करते हैं।हम कारण को बदल दें तो उसका निवारण स्वयं हो जायेगा।

Tuesday 6 December 2016

विश्वास

अवचेतन मन का नियम विश्वास का नियम है। हमें अपने मन की कार्यावधि में विश्वास करना, स्वयं विश्वास पर विश्वास करना है जो हमारे मस्तिष्क का विचार है और कुछ नहीं।

Monday 5 December 2016

समस्या और समाधान

अवचेतन मन में हर समस्या का समाधान और हर परिणाम का कारण होता है। यकीनन अवचेतन में ऐसी चमत्कारी उपचारिक शक्ति है जो परेशान दिमाग और टूटे हुए दिल का इलाज कर सकती है।

Sunday 4 December 2016

अवचेतन मन

अवचेतन मन की चमत्कारिक शक्तियां उस समय भी मौजूद थीं जब आप या मैं पैदा नहीं हुए थे, जब कोई चर्च नहीं था, जब दुनिया ही नहीं थी। जीवन की महान शाश्वत शक्तियाँ और सिद्धान्त उस समय भी मौजूद थे, जब कोई धर्म शुरु नहीं हुआ था।

Saturday 3 December 2016

शाश्वत सत्य

जो हर जगह, हर समय,और हर परिस्थिति में सच है वही शाश्वत सत्य है। जैसे आप स्टील के टुकड़े को गर्म करेंगे तो वह फैलेगा चाहे यह स्टील चीन, ईंग्लैंड, भारत में हो या पृथ्वी का चक्कर लगा रहे अंतरिक्ष यान में हो।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Friday 2 December 2016

जीवन

जीवन इतना जटिल है कि इसमें सबकुछ व्यवस्थित नहीं हो सकता।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Thursday 1 December 2016

रास्ता

अगर आपको कोई ऐसा रास्ता मिले जिसमें कोई बाधा न हो तो समझ लीजिये कि वह रास्ता कहीं नहीं जाता।

Wednesday 30 November 2016

बच्चे की आंखें

अगर बूढ़ा आदमी बच्चे की आंखों से दुनिया को देख सके, तो उसकी जिंदगी में जैसी शांति और जैसा आनंद और जैसे ब्लिस की वर्षा हो जाती है, उसका अनुमान लगाना मुश्किल है।

Tuesday 29 November 2016

प्रेम का रहस्य

संसार में यदि प्रेम करना है तो भगवान से ही प्रेम करना चाहिये; क्योंकि भगवान ही प्रेम के सर्वस्व हैं, यानि प्रेम का तत्त्व-रहस्य जानने वाले भगवान ही हैं। सारी दुनिया का प्रेम इकट्ठा कर लें तो भगवत्प्रेम के एक अंश का भी अंश नहीं हो सकता। भगवान प्रेम का जितना मूल्य चुकाते हैं, उतना कोई भी नही चुकाता।भगवान प्रेम से खरीदे जाते हैं। सारे संसार से प्रेम हटाकर - प्रेम बटोरकर, केवल भगवान से ही प्रेम करना चाहिये।

Monday 28 November 2016

वस्तु का आदान-प्रदान

दूसरेकी प्रसन्नतासे मिली हुई वस्तु दूधके समान है, माँगकर ली हुई वस्तु पानीके समान है और दूसरेका दिल दुःखाकर ली हुई वस्तु रक्तके समान है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Sunday 27 November 2016

अभिवादन

उत्कृष्ट आचरण वाले मानव का ही चरण-स्पर्श द्वारा अभिवादन उपयुक्त है क्योंकि स्पर्श से तन-मन पर असर पड़ता है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Saturday 26 November 2016

स्मृति

अंतर्मुखी बन हम जितना अपने स्मृति को पक्का करते जायेंगे उतना ही यह स्मृति आत्मा को लाइट और माइट स्थिति में स्थित कर देगी।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Friday 25 November 2016

सफल जीवन

इस परिवर्तनशील संसार में हमें शाश्वत आनंद प्राप्त करने के लिए परमानंद को पकड़ना होगा तभी जीवन सफल होगा.
।।श्री परमात्मने नम:।।

Thursday 24 November 2016

कामना और आवश्यकता

मनुष्य अनन्तकालतक जन्मता-मरता रहे तो भी उसकी आवश्यकता मिटेगी नहीं और कामना टिकेगी नहीं।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Wednesday 23 November 2016

ब्रह्म की प्राप्ति

जब मनुष्य सभी प्राणियों के प्रति मन, वचन तथा कर्म से पापमय भाव नहीं रखता है, तब वह ब्रह्म को प्राप्त होता है.
।।श्री परमात्मने नम:।।

Tuesday 22 November 2016

पाप का संचय

यदि मनुष्य पाप कर भी ले तो उसे पुन: न दोहराये, न उसे छुपाये और न उसमें रत  हो | पाप का संचय ही सब दु:खों का मूल है |

Monday 21 November 2016

निश्चयता

मैं आत्मा हूँ और परम पिता परमात्मा की अविनाशी सन्तान हूँ केवल यह निश्चय हो जाना ही पर्याप्त नहीं है इस निश्चय को आचरण में लाना जरूरी है।

Sunday 20 November 2016

व्यक्तित्व

व्‍यक्‍तित्‍व हमेशा तड़पता हुआ अतृप्‍त, हमेशा अधूरा और बेचैन रहता है। यह तड़पता हुआ व्‍यक्‍तित्‍व समाज में अनाचार पैदा करता है क्‍योंकि तड़पता हुआ व्‍यक्‍तित्‍व प्रेम को जब खोजने निकलता है तो उसे विवाह में प्रेम नहीं मिलता। वह विवाह के अतिरक्‍ति प्रेम को खोजने की कोशिश करता है।

Saturday 19 November 2016

आदर-अनादर

हम अपने जीवन में अपनी जानकारी का अनादर कर के अपार दु:ख भोगते हैं और यदि  उसका आदर करें तो विकास की चरम सीमा तक पहुंच सकते हैं ।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Thursday 17 November 2016

अवहेलना का फल

झूठ के मायावी प्रपंचों में उलझ कर ईश्वर का राजकुमार-मनुष्य मानवता से पतित होकर पशु बन गया है। सत्य की अवहेलना करने का अभिशाप वह भुगत रहा है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

सत्य की अवहेलना

झूठ के मायावी प्रपंचों में उलझ कर ईश्वर का राजकुमार-मनुष्य मानवता से पतित होकर पशु बन गया है। सत्य की अवहेलना करने का अभिशाप वह भुगत रहा है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Wednesday 16 November 2016

पिता

पिता एक ऐसा शब्द जिसके बिना किसी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती। एक ऐसा पवित्र रिश्ता जिसकी तुलना किसी और रिश्ते से नहीं हो सकती।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Tuesday 15 November 2016

वेदना

बुद्ध के समय में जितनी वेदना बुद्ध ने झेली, समाज ने उनकी परवाह नहीं की। महावीर के कानों में कील ठोक दी गईं, उन्हें भूखो मरने के लिए विवश कर दिया गया, समाज ने उनके महत्त्व को आँका नहीं। आज उन्हें भगवान माना जा रहा है ।

Sunday 13 November 2016

ऋद्धि-सिद्धि

सनातन धर्म में माँ भगवती के विभिन्न रुप, विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ऋद्धियां और सिद्धियां इन्हीं विभिन्न शक्तियों के रुप में अनुभव करने के माध्यम और साधन हैं। ऋद्धियां भक्ति से भी मिलना संभव है लेकिन सिद्धियां तप और ज्ञान के बिना मिलना संभव नहीं।

Saturday 12 November 2016

माया

स्त्री, पुत्र, पौत्रादि सभी परिजन दुःखपूर्ति के ही साधन हैं। इनमें सुख की कल्पना करना भ्रम मात्र है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Friday 11 November 2016

वास्तविकता

इस जगत में दुख वास्तविक है, सुख सिर्फ आभास है। जो चीज नहीं मिलती बस उसमें सुख है और जो मिल जाती है उसमें सब सुख खो जाता है इसलिए कोई भी आदमी कहीं भी सुखी नहीं है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Thursday 10 November 2016

गृहस्थ

जो जहाँ है वहीं दुखी है, ऐसे आदमी का नाम ही गृहस्थ है। वह हमेशा भविष्य में ही जी रहा है। कल उसका सुख है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Wednesday 9 November 2016

संस्कार

अहंकार खत्म होता है क्षमा मांगने से और संस्कार बनता है क्षमा करने से........

Tuesday 8 November 2016

वर्तमान

कल कभी आता नहीं। कल जब आएगा वह आज ही होगा। वह उस आज को फिर कल के लिए लगाएगा, ऐसे ही वह लगाता जाता है और एक दिन सिवाय मृत्यु के हाथ में कुछ भी नहीं आता।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Monday 7 November 2016

संन्यासी

जो जहां है वहीं सुखी है, ऐसे आदमी का नाम ही संन्यासी है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Sunday 6 November 2016

नित्य-अनित्य

जो बाल बुद्धि वाले बाह्य भोगों का अनुसरण करते हैं वे सर्वत्र फैले हुए मृत्यु के बंधन में पड़ते हैं किंतु बुद्धिमान मनुष्य नित्य अमरपद को विवेक द्वारा जानकर इस जगत में अनित्य भोगों में से किसी को भी नहीं चाहते।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Saturday 5 November 2016

भूल

हे आदि शक्ति माँ! हमारी भूल से जो-जो अपराध हमसे हुए हों उनको क्षमा करो, हमारे विचार शुद्ध करो और उनमें शक्ति दो, हम तेरी शरण आये हैं। हम आपकी आज्ञाओं का पालन नहीं कर सकते, इसमें केवल इतना अपराध है कि हमने तेरा सहारा नहीं लिया, अबतक अपने ही बल भरोसे पर कूदते रहे और इसीलिए हमारी यह दशा हो रही है। हमने तेरे महत्त्व को नहीं जान पाया। हम अभीतक यही समझते रहे कि मनुष्य अपने उद्योग से भी कुछ कर सकता है।

Friday 4 November 2016

विवेक

विवेक का अर्थ इतना ही है कि जो निरर्थक है, वह हमें निरर्थक दिखाई पड़ जाए; जो सार्थक है, वह सार्थक दिखाई पड़ जाए।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Thursday 3 November 2016

बंधन और मुक्ति

अविद्या के कारण ही जीव और ब्रह्म में भेद बुद्धि की प्रतीति होती है। अविद्या, विद्या अर्थात ब्रह्म ज्ञान से शान्त होती है। यह देह मेरी है, यही बन्धन है और यह देह मेरी नहीं है, यही मुक्ति है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Wednesday 2 November 2016

पितृ-ऋण

शास्त्र के अनुसार, यदि पिता प्रसन्न हैं तो पुत्र के सब पापों का प्रायश्चित हो जाता है। पितृ ऋण तो हम नहीं चुका सकते पर अपने पिता-  माता को सम्मान अवश्य दें जिसके कि वो हकदार हैं।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Tuesday 1 November 2016

सर्वत्र सत्य

ईश्वर सत्य है, आत्मा सत्य है, प्रभु की त्रिगुणमयी लीला सत्य है, सर्वत्र सत्य ही सत्य व्याप्त हो रहा है। जीवन के कण-कण की एक ही प्यास है-'सत्य’।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Monday 31 October 2016

अखिल सत्य

हमारा जीवन इसलिए है कि अखिल सत्य तत्त्व में विचरण करते हुए अमृत का पान करें। प्रभु ने कृपा करके हमें अपने संसार की सत्यरूपी वाटिका में भ्रमण करके आनंद लाभ करने के लिए भेजा है, परंतु हाय, हम तो अपने को बिलकुल ही भूले जा रहे हैं। वास्तव में दुनिया कुछ नहीं है। अपनी छाया ही संसार के दर्पण में प्रतिबिंबित हो रही है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Sunday 30 October 2016

प्रेरणा

'सत्य’ मनुष्यों को प्रेरणा देता है कि अंतर में दृष्टि डालो,अपना दृष्टिकोण बदलो,अपना और दुनिया का स्वरूप समझो, अपने को अच्छा बना डालो, बस सारी दुनिया तुम्हारे लिए अच्छी बन जाएगी। तुम सत्यनिष्ठ बनो, दुनिया तुम्हारे साथ सत्य का आचरण करेगी। श्रुति कहती है 'असतो मा सद्गमय 'असत्य की ओर नहीं, सत्य की ओर गमन कीजिए। आपका इसी में कल्याण है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Saturday 29 October 2016

सत्य की अवहेलना

कितना सुंदर शब्द है, सत्य! उच्चारण करते ही जिह्वा को शांति मिलती है, विचार करते ही मस्तिष्क शीतल हो जाता है, हृदयंगम करने से कलेजा ठंडक अनुभव करता है परन्तु आज का मानव झूठ के मायावी प्रपंचों में उलझ कर  मानवता से पतित हो पशुवत् बन गया है। आज वह सत्य की अवहेलना करने का अभिशाप भुगत रहा है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Friday 28 October 2016

संकल्प

प्रत्येक मानव को अपने जीवन में दृढ़ इच्छा शक्ति से कम से कम एक संकल्प लेकर उसका पूर्ण मनोयोग से पालन जरुर करना चाहिए ताकि वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सके।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Wednesday 26 October 2016

*भगवान-भरोसे*

आजकल भगवान के *नाम-स्मरण* में भी ठेकेदारी की प्रथा चल पड़ी है। ऐसा लगता है कि भगवान भी अब अर्थ के गिरफ्त में आ चुके हैं पर यह लोगों की भूल है। उनका कल्याण भी अब होगा *भगवान-भरोसे* ।

Tuesday 25 October 2016

तृष्णा

झूठी भूख अनावश्यक तृष्णा है।अत:इसके मायाजाल से दूर रहना ही सफल होने का साधन है।आध्यात्मिकता ही इसे दूर कर सकती है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Monday 24 October 2016

सच्चा अध्यात्म

आध्यात्म हमारी झूठी भूख को दूर कर सच्ची और सात्विक भूख को जन्म देता है। हमारी वासनाओं को दग्ध करता है।वह हमें पवित्रता की ओर उन्मुख करता है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Sunday 23 October 2016

केवल परमात्मा है

यह सृष्टि परमात्मा से भिन्न नहीं है यह उसका नृत्य है तो परमात्मा नर्तक है। यह सृष्टि  उसकी कृति नहीं है। यह कोई बनायी हुई मूर्ति नहीं कि परमात्मा ने बनाया और वह अलग हो गया बल्कि परमात्मा इसके भीतर मौजूद है। वह अलग हो जाएगा तो नर्तन बंद हो जाएगा और नर्तन बंद हो जाएगा फिर परमात्मा भी खो जाएगा।
।।श्री परमात्मने नम:।।

Saturday 22 October 2016

कनिष्ठा का महत्व

छोटी उंगली – The Little Finger- छोटी ऊँगली का किडनी और सिर के साथ सम्बन्ध होता है। अगर आप को सिर में दर्द है तो इस ऊँगली को हल्का सा दबाये और मसाज करे ,आप का सिर दर्द गयब हो जायेगा ।इसे मसाज करने से किडनी भी तंदुरुस्त रहती  है और हम स्वस्थ रहते हैं।

Friday 21 October 2016

अनामिका का महत्व

चौथी उंगली– The Ring Finger- ये ऊँगली आपकी मनोदशा से जुड़ी होती है।अगर किसी कारण आपकी मनोदशा अच्छी नहीं है ,या शांति चाहते हैं तो इस ऊँगली को हल्का सा मसाज करें और खीचें ,आपको जल्द ही इसके अच्छे नतीजे प्राप्त हो जायेंगे ,आप का मन खिल उठेगा।

Thursday 20 October 2016

मध्यमा का महत्व

बीच की ऊँगली -The Middle Finger- ये ऊँगली परिसंचरण तंत्र तथा circulation system से जुड़ी  होती है । अगर आप को चक्कर या आपका जी घबरा रहा है तो इस ऊँगली पर मालिश करने से तुरंत रहत मिलेगी।

Wednesday 19 October 2016

तर्जनी का महत्व

तर्जनी -The Index Finger – ये ऊँगली आँतों ( gastro intestinal tract) से जुड़ी होती है।
अगर आपके पेट में दर्द है, तो इस उंगली को हल्का सा रगड़े , दर्द कम हेता महसूस होगा।

Tuesday 18 October 2016

स्वास्थ्य

अंगूठा (The Thumb)– हाथ का अँगूठा हमारे फेफड़ों से जुड़ा होता है।अगर आप की दिल की धड़कन तेज है तो हलके हाथों से अँगूठे पर मसाज करें और हल्का सा खिचें। इससे आप को आराम मिलेगा।

योग

योग में तो संपूर्ण शरीर को ही विभक्त कर दिया गया है : मन का एक हिस्सा पुरुष है, मन का दूसरा हिस्सा स्त्री है। और व्यक्ति को सूर्य से चंद्र की ओर बढ़ना है, और अंत में दोनों के भी पार जाना है, दोनों का अतिक्रमण करना है। यही वास्तविक योग है।

Sunday 16 October 2016

जीवन-क्लेश

''गणपति" नाम के उच्चारण से जो करते दिन का श्रीगणेश,
दर पर कभी न दुविधा आयेऔर दूर हो
"जीवन-क्लेश"।

Saturday 15 October 2016

ऊर्जा और शक्ति

शरीर को पोषित करने के लिए ऊर्जा की आवश्यकता होती है लेकिन जीवन के लिए शक्ति की आवश्यकता होती है। ऊर्जा को एकत्रित करना होता है जबकि शक्ति को जाग्रत करना होता है। ऊर्जा शरीर का विषय है , शक्ति मन या अध्यात्म का विषय है। एक शक्ति से बहुत सी दूसरी शक्तियों का और ऊर्जाओं का सृजन होता है।

Friday 14 October 2016

जीवन का विवेचन

विवेक--विरोधी, संबंध, विश्वास और कर्म का त्याग कर देने पर ही दुख--निवृत्ति, परम शांति, अमरत्व एवं सरसता प्राप्त कर सकते हैं।

Thursday 13 October 2016

माँ ही एक सहारा

               ।।जय माता दी।।
यहाँ कोई नहीं अपना, माँ तेरा ही इक सहारा है।
मैंने देख लिया सबको तभी तो
संसार को तिलांजलि देकर
हारकर अब माँ तुम को पुकारा है।
कहीं डूब ना जाऊ मैं,
माँ मेरा हाथ पकड़ रखना।
माँ सदा मुझ पर रहमत की नज़र रखना।

Wednesday 12 October 2016

धर्म-युद्ध

मानव को अपना धर्मयुद्ध अपने आस-पास और अपने भीतर जरूर लड़ना पड़ता है जिसके लिए सबसे पहले अपने भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार से लड़ना पड़ता है।

Tuesday 11 October 2016

आत्म-संतुष्टि

प्रकृतिवत् परोपकारी बनने से मानव आत्म-संतुष्टि प्राप्त करता है जिसे धन-संपदा से  खरीदा नहीं जा सकता.

Monday 10 October 2016

नि: स्वार्थ-भाव

निःस्वार्थ भाव से की गई किसी की सेवा और प्रार्थना किसी न किसी रास्ते से ईश्वर तक पहुँच ही जाती है।

Sunday 9 October 2016

भक्ति

व्यक्ति यदि मुक्ति की अभिलाषा रखता हो तो उसे भक्ति का सानिध्य प्राप्त करना चाहिए।

Saturday 8 October 2016

उपयुक्त मानव

ऊँच्च से ऊँच्च जीवन्मुक्त अवस्था स्वाभाविक होने पर ही मानव, उपयुक्त मानव बन पाता है ।

Thursday 6 October 2016

परमात्म-मिलन

आज का आदमी बिना श्रम के, बिना चेष्टा के परमात्म-मिलन चाहता है पर यह परमपिता परमेश्वर की अनुकंपा के बिना संभव नहीं है।

Wednesday 5 October 2016

यथार्थ-बोध

समय ,सत्ता ,सम्पति और शरीर चाहे साथ दें या न दें ! लेकिन स्वभाव ,समझदारी ,सत्संग और सच्चे संबंध हमेशा साथ देते हैं !.
ना किसी के 'अभाव' में जियो
ना किसी के 'प्रभाव' में जियो
ये जिंदगी आपकी है
बस इसे अपने मस्त 'स्वभाव' में जियो.
।।जय माता दी।।

Tuesday 4 October 2016

मुक्त पुरुष

जब हृदय शुद्ध होता है
तो पक्ष और विपक्ष का ख्याल नहीं आता
न कोई अभिमान न अनिवार्यताएं
न आवश्यकताएं और न आकर्षण
तब आपके सभी काम
आपके नियंत्रण में होते हैं
आप एक मुक्त मनुष्य हैं।

परमात्मा

बेवजह सदा झुकना
ठीक नहीं,
यदि सदा झुकना ही है तो
परमपिता परमेश्वर के सामने
क्योंकि वे कभी-भी हमारा
अहित नहीं सोचते।
।। श्री परमात्मने नम: ।।