Saturday 23 June 2018

प्रतीक्षा

नमस्कार!
यह हमारा अध्यात्म पर अंतिम पोस्टिंग है!
हम हर पल परमात्मा का ध्यान करें! सुबह शाम बैठकर परमात्मा के गुणों का चिंतन करें! दिनभर साक्षी भाव में रहें! जो भी कार्य करें उसे परमात्मा को समर्पित करके करें! यदि हम दिन भर साक्षी भाव में रहेंगे तो हमें पता भी नहीं चलेगा कि कब हम सांसारिक बंधनों से छूटकर भीतर प्रवेश कर गए! ऐसा नहीं है कि केवल हम ही परमात्मा को चाहते हैं! परमात्मा भी तो सदियों से आँखें बिछाए हमें घर लौटने की प्रतीक्षा कर रहा है! अध्यात्म पर रहने से कुछ लोगों को हम नापसंद भी आते हैं! क्षमा .. करें..!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 22 June 2018

कसौटी

दु:ख एक कसौटी है जो सबको तराशता चलता है! वही आदमी को आदमी भी बनाता है!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 21 June 2018

स्वकर्म

राजा जनक की बेटी और राजा दशरथ की पुत्रवधू सीता का श्री राम के साथ अलौकिक विवाह हुआ परन्तु मिला वनवास तत्पश्चात वनवास में भी अपहरण और उसके बाद अग्निपरीक्षा! अंत में भी गर्भवती सीता को देखना पड़ा पारिवारिक वियोग!  पृथ्वी पर राज करने वाले पिता और ससुर चाहकर भी सीता को सुख नहीं दे पाए! यही है विधि का विधान तो फिर एक साधारण मनुष्य कैसे अपनी संतान को उनके अपने भाग्य के बिना सुख दे सकता है? तन-मन-धन से प्रयास करते रहें परन्तु मन से यह भूल मत जाएँ कि किसी को भी सुख उसके अपने कर्म व भाग्य से ही मिलती है न कि दूसरे के करने से..!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 20 June 2018

कर्म

भाग्य बारिश का पानी है और परिश्रम कुंएँ का जल! बारिश में नहाना आसान तो है लेकिन रोज नहाने के लिए हम बारिश के सहारे नहीं रह सकते! इसीप्रकार भाग्य से कभी-कभी चीजें आसानी से मिल जाती हैं किन्तु हमेशा भाग्य के भरोसे नहीं जी सकते! कर्म ही असली भाग्य है!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 19 June 2018

समर्पण

जिसकी समझ में सबकुछ भगवान का है फिर उसका तो अपना एकमात्र भगवान के सिवा और कुछ भी नहीं रहा और उसकी कोई प्रवृत्ति भी भगवान की सेवा से भिन्न कैसे हो सकती है? वास्तव में इसी का नाम समर्पण है!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 18 June 2018

प्रयोग

हमारे अवचेतन मन का यह नियम है कि जिसने हमें बंधन में रखा और हमारे कार्य की स्वतंत्रता को सीमित किया है वही हमें एक न एक दिन स्वतंत्रता और खुशी भी देगा! भले ही यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसका कैसा प्रयोग करते हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 17 June 2018

चिंतक

नई आदत डालने के लिए हमें विश्वास होना चाहिए कि यह वांछित है! जब बुरी आदत को छोड़ने की हमारी इच्छा इसे जारी रखने की इच्छा से ज्यादा बड़ी हो तो समझ लीजिए हमारा इक्यावन प्रतिशत उपचार तो हो चुका है! दूसरों की बातें हमें तब तक चोट नहीं पहुँचा सकती जब तक कि हमारी खुद की वैचारिक और मानसिक सहमति न हो! खुद को अपने लक्ष्य के साथ एकाकार करें जो शांति, सद्भाव और खुशी है! हम ही अपने ब्रह्मांड में इकलौते चिंतक हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 16 June 2018

विश्वास

हमारा अवचेतन मन कैमरा है और हमारा अवचेतन मन वह संवेदनशील प्लेट है जिस पर हम तस्वीर की छाप छोड़ते हैं! हमारे पीछे जो एकमात्र बदकिस्मती पड़ी रहती है वह डर का विचार है जिसे बार-बार दिमाग में दोहराया जाता है! इस बात के साथ बदकिस्मती से पीछा छुड़ाएँ कि हम जो भी काम शुरू करते हैं उसे हम दैवी विधान में सुखद परिणाम तक पहुँचाएँगे! सुखद अंत की तस्वीर बनाएँ और इसे विश्वास के साथ बनाएँ रखें!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 15 June 2018

समाधान

समाधान समस्या में निहित है! हर सवाल में इसका जवाब छिपा है! हमारा ज्ञान हमारी पुकार पर प्रतिक्रया करता है जब हम इसे आस्था और विश्वास से आवाज देते हैं! हमारी आदत हमारे अवचेतन मन का कार्य है! हमारे अवचेतन मन की अद्भुत शक्ति का इससे बड़ा प्रमाण नहीं है कि हमारे जीवन पर आदत की कितनी शक्ति और नियंत्रण है! हम आदतों के गुलाम होते हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।

परमपिता

जब जिंदगी का कोई भी चैनल साफ-साफ दिखाई न दे तो "रिमोट कंट्रोल" परमपिता परमेश्वर के हाथों सौंप देना चाहिए!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 13 June 2018

स्वयं सृजनकर्ता

हम अपने विचारों और भावनाओं के जरिए सृजन करते हैं और सिर्फ हम ही अपने विचार सोच सकते हैं या अपनी भावनाएं महसूस कर सकते हैं! यह काम हमारे लिए कोई दूसरा नहीं कर सकता!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 12 June 2018

विद्या

परदेश में मनुष्य के लिए विद्या ही मित्र है! परिवार में आज्ञाकारिणी पत्नी मित्र है! रोग होने पर दवा मित्र है और मरने वाले के लिए एकमात्र धर्म ही मित्र है! दूसरों के साथ वही व्यवहार करना चाहिए जो स्वयं हम चाहते हैं! हमें किसी के साथ भी झूठ व्यवहार नहीं करना चाहिए क्योंकि हम दूसरे का झूठ बोलना पसंद नहीं करते हैं! अतः हम कह सकते हैं कि कोई मनुष्य त्रिभुवन का स्वामी रहकर भी दुःखी रह सकता है और दरिद्र से दरिद्र भी विश्व का सबसे सुखी प्राणी हो सकता है!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 11 June 2018

व्यवहार

जब हम किसी के प्रति नम्र और शालीन हों लेकिन उसकी पीठ पीछे उसके बारे में आलोचनात्मक और द्वेषपूर्ण विचार रखते हों तो इस तरह के नकारात्मक विचार हमारे लिए बहुत विनाशकारी हैं! यह ज़हर खाने की तरह है! हम जो नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न कर रहे हैं वह हमारी स्फूर्ति, उत्साह, शक्ति, मार्गदर्शन और सद्भावना कम कर देती है! जब ये नकारात्मक विचार और भाव हमारे अवचेतन में उतर जाते हैं तो वे हमारे जीवन में तमाम तरह की मुश्किलें और रोग उत्पन्न कर देते हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 10 June 2018

खुशी

खुशी शांत मस्तिष्क की फसल है! हम अपने विचारों का लंगर शांति, संतुलन, सुरक्षा और दैवी मार्गदर्शन पर बांधे फिर देखें हमारा मस्तिष्क खुशी उत्पन्न कर देगा! हमारी खुशी में कोई बाधा नहीं है! बाहरी चीजें कारण नहीं परिणाम हैं! अपने भीतर के एकमात्र रचनात्मक सिद्धांत से प्रेरणा लें!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 9 June 2018

सच्ची इच्छा

हमारे मन में खुश रहने की सच्ची इच्छा होनी चाहिए! बिना इच्छा के कुछ हासिल नहीं होता है! इच्छा तो कल्पना और आस्था के पंखों के साथ की गई कामना है! हम अपनी इच्छा के साकार होने की कल्पना करें, इसकी वास्तविकता महसूस करें फिर यह साकार हो जाएगी! खुशी प्रार्थना के जवाब में मिलती है!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 8 June 2018

विचार

यदि हम किसी बाहरी चीज़ के कारण कष्ट में हैं तो दर्द उस चीज़ के कारण नहीं है बल्कि उसके बारे में हमारे विचारों के कारण है और हमारे पास इसे किसी भी पल खारिज करने की भी शक्ति है!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 7 June 2018

भगवत्प्रेम

संसार में बहुत सावधानीपूर्वक रहना चाहिए! जिस- जिस से सुख लेने की इच्छा है समझना चाहिए कि वहाँ खतरा है! व्यक्ति में ममता महान बाधक है! एक पल भी भगवान के नाम का जप नहीं छोड़ना चाहिए!  पापी से पापी व्यक्ति भी भगवान की प्राप्ति कर सकता है! वर्तमान में उसे हमेशा के लिये पाप छोड़कर भगवान की भक्ति करनी होगी! किसी से कोई भी इच्छा मत रखिए तो मुक्ति हो जायगी! किसी में ज्यादा ममत्व हो गया है तो उसकी सेवा कर दीजिए ममता छूट जाएगी! एक भगवान के शरण हो जाने से भक्ति हो जाएगी! किसी का बुरा न चाहने से पूरे संसार की सेवा का फल मिल जाएगा!  भगवान में दृढ़ विश्वास बढ़ाना चाहिए! भगवान हैं उनके दर्शन दूसरे को हुए हैं मुझे भी हो सकता है ऐसा विश्वास ज्यों-ज्यों पक्का होता जाएगा भगवान के दर्शन उतनी शीघ्र होगी! अंतिम बात यही है कि पूरे साधन जप-तप, संयम और पूजा भक्ति का फल एक ही मांगना चाहिए कि भगवान के चरणों में प्रेम हो जाए!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 6 June 2018

बलिदान

कौन सुनेगा किसे सुनाऊँ?
निर्माण है, कल्याण है, राहत है, प्रगति है,
ऊँचा है मेरा देश, मगर डूब रहा है!
बलिदानों के संगम पे यार भीड़ बड़ी है,
सब भाग रहे हैं मगर मैं निडर डूब रहा हूँ!!
।।श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 5 June 2018

संतों का जीवन

हम यही सोचते हैं कि हमारी सोच, आदतें, विचार, बोल और कार्य सभी सही हैं और दूसरों की गलत! हम हमेशा दूसरों को ही बताते रहते हैं कि आपने यह सही नहीं किया और वह काम गलत परंतु जब हम संतों-महापुरुषों का जीवन देखते हैं तो पाते हैं कि वे सभी के अंदर सिर्फ अच्छाइयां देखते हैं! कोई इंसान अच्छा न भी हो फिर भी वे उसमें अच्छाई खोज ही लेते हैं! वे उसका बाहरी रूप देखने की बजाय उसके आत्मिक रूप की ओर ध्यान देते हैं! हमें भी उनकी तरह औरों की गलतियों की ओर देखने की बजाय स्वयं को बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 4 June 2018

पुलिस की अनदेखी

ग्रामीण-परिवेश में क्या कर रही है पुलिस ? सरमेरा थाना क्षेत्र में एक साल में 10 से ज्यादा गाड़ियां चोरी हो गई हैं! ऐसा लोगों का अनुमान है कि एक ही गिरोह है जो ऐसा कर रहा है!  आखिर क्या कारण है कि पुलिस उस गिरोह को पकड़ने में नाकाम हो रही है या फिर कुछ रकम निर्धारित कर दिया गया है पुलिस को... कि प्रत्येक गाड़ी पर आपको इतना दे दिया जाता रहेगा!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Saturday 2 June 2018

आत्मा

आत्मा अज्ञान के कारण ही सीमित प्रतीत होता है
परन्तु जब अज्ञान मिट जाता है तब आत्मा के वास्तविक स्वरुप का ज्ञान हो जाता है, जैसे बादलों के हट जाने पर सूर्य दिखाई देता है!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 1 June 2018

वास्तविक जीवन

ठहराव और गति के बीच का संतुलन ही जीवन है! हमें जीवन में बेहतर भविष्य के लिए एक काम करना है वह यह कि हममें जीने की कला आनी चाहिए! हमें जाति, धर्म, और संप्रदाय की घृणित राजनीति से बचना चाहिए! हमें अवचेतन मन की शक्तियों को पहचानना होगा क्योंकि अवचेतन मन की शक्तियां हमें विषम परिस्थितियों से जूझने की कला सिखाती हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।