Thursday 30 November 2017

भ्रष्टखचार

नमस्कार दोस्तो,
                     आज मैं पटना-मोकामा मेमू गाड़ी नंबर 63272 राजेन्द्रनगर टर्मिनल से बाढ़ के लिए प्रस्थान किया। यह गाड़ी बहुत विलंबित थी। बख्तियारपुर में गाड़ी नंबर 13226 जयनगर इंटरसिटी एक्सप्रेस पर पटना-मोकामा मेमू से उतरकर बहुत लोग सवार हो गये जिसमें मैं भी शामिल था। T.T.E. ने लोगों से नजराना ले-लेकर छोड़ दिया। मेरे पास साधारण टिकट थी फिर भी T.T.E. ने मुझसे 20/- रू. लेकर अपने पॉकेट में रख लिया जबकि मैं चिल्लाता रहा कि मुझसे Fine लेकर रसीद बनाकर मुझे दीजिए पर उसने एक न मानी। उसने मेरे टिकट पर इनीसियल हस्ताक्षर करके मुझे छोड़ दिया। मैं प्रधानमंत्री भारत सरकार से यह पूछना चाहता हूँ कि रेलवे में भी व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ कौन-सी कार्रवाई करेंगे? यदि जनता दोषी है तो सरकार के कर्मचारी फाइन के नाम पर पैसे लेकर सबको रसीद क्यों नहीं देते हैं? पैसे को लेकर वे अपने पॉकेट में क्यों रख लेते हैं? दिखावे के लिए कुछ लोगों को फाइन लेकर रसीद दिया गया ताकि रेल-विभाग यह समझ सके रेल-कर्मचारी बहुत ईमानदार हैं। दूसरी ओर मैं सरकार से भी यह पूछना चाहता हूँ कि रेल-विभाग यदि भ्रष्टाचार में संलिप्त हो तो उसपर जनता क्या कर सकती है?

पाठ

"सफलता एक खूबसूरत प्रेमिका की तरह होती है जो कभी भी आपको छोड़ सकती है लेकिन असफलता माँ की तरह होती है जो हमेशा कुछ न कुछ महत्वपूर्ण पाठ सिखाती है।"
।। श्री परमात्मने नमः।।

पत्थर

"पत्थर में एक ही कमी है कि वो पिघलता नहीं है लेकिन यही उसकी खूबी है कि वो बदलता भी नहीं है।"
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 28 November 2017

घमंड

"घमंड की बीमारी 'शराब' जैसी है साहब,
खुद को छोड़कर सबको पता चलता है कि  इसको चढ़ गयी है !"
।। श्री परमात्मने नमः।।

लुटेरे

यहाँ कौन लुटेरा नहीं है...?
किसके जीवन में फेरा नहीं है...?
लूट..मची.. है...भाई... लूट ......?
अंत.. में..प्राण.. जायेगा...छूट...!
मनरेगा में मुखिया लूट रहे.....
दुखिया को सुखिया लूट रहे....
एम.डी.एम. में शिक्षक लूट रहे....
मालिक को रक्षक लूट रहे...
जनवितरण में डीलर लूट रहे....
कपड़े को चीलर लूट रहे....
शौचालय में वार्ड मेम्बर लूट रहे....
लकड़ी में प्लंबर लूट रहे...
किसान को मजदूर लूट रहे....
अभागे को तकदीर लूट रहे...
सड़क-निर्माण में ठेकेदार लूट रहे...
गाँव को पहरेदार लूट रहे....
बैंक को प्रबंधक लूट रहे....
घाव को गंधक लूट रहे....
थाना में दारोगा लूट रहे....
विश्व बैंक को मनरेगा लूट रहे....
प्रखंड में बी.डी.ओ. लूट रहे...
अंचल में सी.ओ.लूट रहे...
बस में कंडक्टर लूट रहे...
रोगी को डॉक्टर लूट रहे...
शादी में दूल्हा लूट रहे...
उपले को चूल्हा लूट रहे...
जनता को नेता लूट रहे....
बाप को बेटा लूट रहे....
भाई को भाई लूट रहे....
गाय को कसाई लूट रहे....
देवर को भौजाई लूट रहे...
ससुर को घरजमाई लूट रहे....
ग्राहक को दुकानदार लूट रहे....
यार को यार लूट रहे...
सरकार को पत्रकार लूट रहे....
मतदाता को सरकार लूट रहे.....
इंसान को शैतान लूट रहे....
और अंत में लुटेरे को भगवान लूट रहे....
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 26 November 2017

वृक्षारोपण

नमस्कार मित्रो!
                    मैंने अपने पंचायत केनार के अंतर्गत मनरेगा के तहत सत्र २०१२-२०१३ में वनपोषक के रूप में १०० दिन लगातार कार्य किया एवं सत्र २०१३-२०१४ में भी लगातार १०० दिन कार्य किया जिसमें २०० पौधे हमने लगाया थे। आज हमारी इच्छा हुई कि मेरे द्वारा पोषित पौधे की स्थति क्या है यह देखने के लिए हम स्थल पर पहुंचे। हमने देखा कि सारे के सारे पौधे बड़े वृक्ष बन चुके हैं। मैं बहुत हर्षित हुआ।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 24 November 2017

मंतव्य

नमस्कार मित्रो !
                  आज मैं आपलोगों से कुछ अपना मंतव्य साझा करना चाहता हूँ। एक मित्र हमसे बीती रात में बार-बार याचना कर रहा था कि आप हमारे गुरु बन जाइए और बार-बार राजनेताओं का उदाहरण पेश कर रहा था। उसकी दिली इच्छा है कि समाज में समरसता का प्रादुर्भाव हो। रामचरितमानस में वर्णित है कि राम के शिष्य शिव थे और शिव के शिष्य राम थे। हमने उस मित्र से कहा कि परस्पर गुरु-शिष्य का संबंध स्वीकार करो तो हम तुम्हारा गुरु बन सकते हैं। उसने इनकार कर दिया। अब जहाँ समरसता का सवाल उठता है वहाँ हमें परस्पर समभाव तो रखना ही पड़ेगा भले ही सबमें अपना एक विशिष्ट गुण हो। यह भी बात दीगर है कि यदि किसी का अनुयायी ही बनना होता तो अलग-अलग सृष्टि की आवश्यकता नहीं होती। प्रत्येक में अपना-अपना एक विशिष्ट गुण होता है जो दूसरों में नहीं पाया जाता है फिर भी जबतक गुरु अपने को केवल गुरु ही समझता है और शिष्य अपने को केवल शिष्य ही समझता है तबतक दोनों का उद्धार असंभव है। परस्पर गुरु शिष्य भी है और शिष्य गुरु भी....। कहने का मतलब है कि हम जैसा बनना चाहते हैं वैसा ही हम दूसरों के साथ व्यवहार करें तो कल्याण संभव है। संप्रति अर्थ की लोलुपता ने समरसता का विलोपन कर दिया है। हम सभी उसी पथ के अनुगामी हैं। परिणामत: सामाजिक विषमता का प्रादुर्भाव परिलक्षित होना स्वाभाविक है। हमें बस इतना ही करना है कि विकसित होने के लिए हम भी दूसरों को विकसित करें। यह विचार मेरा अपना है। यह कोई जरूरी नहीं कि सभी हमारे विचार से सहमत हों।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 23 November 2017

घोटाला

आजकल एमडीएम के तहत सरकारी विद्यालय के शिक्षक घोटाले के आगोश में चैन की नींद ले रहे हैं तभी तो प्राइवेट विद्यालय में नामांकित बच्चों का नामांकन अपने विद्यालय में भी ले रखें हैं। मैं प्रमाणित तो नहीं कर सकता पर वस्तुस्थिति का अवलोकन कर आवेदित तो कर सकता हूँ। प्रमाणित तो संबंधित पदाधिकारी ही कर सकते हैं।
विधिसम्मत न्याय की प्रतीक्षा में.....
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 22 November 2017

धर्म और नीति

अधर्म और अनीति पर चलने वाले मनुष्यों की उन्नति क्षणभंगुर होती है। धर्म और नीति का त्याग करने वाला रावण, हिरण्यकश्यप, कंस और दुर्योधन आदि की भी एक बार कुछ उन्नति-सी दिखायी दी थी परन्तु अन्त में उनका समूल विनाश हो गया। अतः हमें धर्म और नीति का त्याग नहीं करना चाहिए। वास्तव में धर्म और नीति पर कायम रहने वाले मानवों में ही मानवता समाहित होता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 21 November 2017

मन

एक सुखद जीवन के लिए मस्तिष्क में सत्यता, होठों पर प्रसन्नता और हृदय में पवित्रता जरूरी है जिसका मन मस्त है उसके पास समस्त है!!
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 20 November 2017

सत्गुरू

हे सत्गुरु! तू मुझे दिल ऐसा देना कि मैं सबको माफ कर सकूं, आँखें ऐसी देना कि किसी की बुराई ना देख सकूं और हृदय ऐसा देना कि मैं
तुझे कभी भुला ना सकूं.
।। श्री परमात्मने नमः।।

Sunday 19 November 2017

चरित्रहीन

स्त्री तबतक 'चरित्रहीन' नहीं हो सकती जबतक कि पुरुष चरित्रहीन न हो।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 17 November 2017

आत्म-तत्त्व

"यह सच्चाई है कि जो व्यक्ति देवी के मंदिर में जाकर साष्टांग प्रणाम करता है वही घर लौटकर अपनी पत्नी को पीटता है। वह नादान हो सकता है लेकिन वह धूर्त भी है..." अगर आत्म -तत्व स्त्री और पुरुष में एक है तो स्त्री को कम क्यों आंका जाता है? क्या पुरुष इसका जिम्मेदार है?
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 16 November 2017

खामोशी

यह दुनियां इसलिए बुरी नहीं है कि यहाँ बुरे लोग ज्यादा हैं बल्कि इसलिए बुरी है कि यहाँ अच्छे लोग खामोश हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Tuesday 14 November 2017

प्रेम

बांट दे हर्ष अपना सभी के लिए
है उचित बस यही आदमी के लिए
दे सकें प्रेम दें ले सकें प्रेम लें
प्रेम संपत्ति है जिंदगी के लिए
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 10 November 2017

गोपालबाद नगरी

नमस्कार!
            ग्राम गोपालबाद, वाया-सरमेरा, जिला-नालंदा स्थित सामुदायिक भवन में देखिए लोग धान का संग्रह कर रहे हैं। चलिए कम से कम यह भवन लोगों के लिए कल्याणकारी तो सिद्ध हो ही रहा है। इसी गाँव में श्री जवाहर पुस्तकालय में लोग उपला का संग्रहण भी करते हैं। चलिए आसपास के लोगों को फायदा तो हो रहा है न! भले ही लोग पुस्तकालय से पठन-पाठन का लाभ नहीं ले रहे हैं, फिर देवी-स्थान में भी लोग धान सुखाने का काम कर रहे हैं। धन्य हो गोपालबाद नगरी!!
।। श्री परमात्मने नमः।।

दोस्ती

दोस्ती 🌷फूल से करोगे तो सिर्फ महक जाओगे,
दोस्ती 🍷मदिरा से करोगे तो सिर्फ बहक जाओगे,
दोस्ती 🌙चाँद से करोगे तो सिर्फ शीतलता पाओगे,
दोस्ती ☔सावन से करोगे तो सिर्फ भीग ही पाओगे,
दोस्ती💵पैसे से करोगे तो सिर्फ अमीर हो जाओगे,
दोस्ती ❤मेरे 'गोविन्द' से करोगे तो उनके "चरणों" में जगह पाओगे और चौरासी लाख योनियों के चक्कर से बच जाओगे।
अत: हमें हमेशा ब्रान्डेड चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 8 November 2017

आस

समाये मेरी हस्ती में, निगाह और दिल में लहराये,
जो इतनी दूर जाना था तो इतने पास क्यूं आये?
जनम जनमों का नाता है ये खुद तुमने बताया था
तभी झाँका था मैं दिल में जहाँ बस तुम नजर आये ।
तुम बिन कैसे कटे उमरिया आस ही आस में बीती जाये,
मोरे नैन दरश बिन तरसे तुम बिन गुरुवर कछु न सुहाये।
तोरी प्रीत के कारण हाय मोसे रूठे अपने पराये
जग चाहे रूठे तुम मत रुठियो, तुम रुठियो तो गजब हुई जाये....तुम रुठियो तो गजब हुई जाये...
।। श्री परमात्मने नमः।।

Monday 6 November 2017

लोग

भीतर विष लेकिन बाहर से हाथ मिलाकर हँसते लोग
आँखों में लेकर मिलते हैं नफरत के गुलदस्ते लोग
औरों के गुण-दोष हमेशा छलनी में से छान रहे
पर अपने गुण-दोष कसौटी पर जा कभी न कसते लोग
शीतल जल से भरी घटा तू कब बरसेगी धरती पर
कार्तिक-दुपहरी से झुलसाए जल को आज तरसते लोग
कहने को तो लाखों में भी बिकने को तैयार नहीं
अवसर मिलने पर बिक जाते कौड़ी से भी सस्ते लोग
रूप सुरक्षित रह सकता तो पर्दे में ही रह सकता है
जब भी रूप उठाये पर्दा बनकर तीर बरसते लोग
जाने-पहचाने चेहरे भी अनजाने से लगते हैं
दिन का उजियाला है फिर भी अंधकार में बसते लोग
सूरज चढ़ता है तो मुख पर और मुखौटे होते हैं
सूरज छिपता है तो मुख पर और मुखौटे कसते लोग
पहले तो 'दिवाकर' तुम्हारी 'हाँ' में 'हाँ' सब कहते थे
अब क्यों तुमको छोड़ चले हैं अपने-अपने रस्ते लोग?
।। श्री परमात्मने नमः।।

शिकायत

ग्राम+पोस्ट गोपालबाद,वाया सरमेरा, जिला नालंदा, राज्य बिहार की स्थति फिलहाल बहुत ही नाजुक दौर से गुजर रही है। इस गाँव में बराबर अप्रिय घटना घटित होते रहती है परन्तु संबंधित पंचायत के सारे जनप्रतिनिधि घटनाओं को नजरंदाज करते रहते हैं। बेचारे शंकर प्रसाद पर कैसी गुजरती होगी उनके आवेदन से ही अंदाजा लगाया जा सकता है। यह गाँव बिहार-सरकार के लिए एक चुनौती है। देखिए उक्त किसान के शिकायतों पर कब, कितना, कहाँ, किस प्रकार और किनके द्वारा अमल किया जाता है?

Saturday 4 November 2017

चोरी का पत्थर

नमस्कार!
मैं भले ही पत्थर का टुकड़ा हूँ पर थोड़ा-सा स्वार्थ को लेकर मानव मुझे पाने के लिए विद्या-मंदिर के ताले को तोड़कर मुझे चुरा लेता है। मुझे अफसोस इस बात की है कि अभीतक उस चोर ने मुझे लावारिस सड़क पर छोड़ रक्खा है। उस चोर से मेरी गुजारिश है कि मुझे जिस काम के लिए चुराकर लाया गया है, कृपया उस काम में यथास्थान शीघ्रातिशीघ्र स्थापित कर दे क्योंकि अब मुझसे असहनीय दर्द सहा नहीं जा रहा है वह यह कि सड़क पर दौड़ रहे वाहनों से मैं बुरी तरह कुचला जा रहा हूँ। शायद वह चोर डरकर मुझे सड़क पर लावारिस रूप में छोड़ दिया हो पर यह उसकी भूल है। मैं जानता हूँ कि वर्तमान में उस चोर को पकड़ने वाला कोई नहीं है क्योंकि पंचायत के सारे जनप्रतिनिधियों का ध्यान इस ओर नहीं है। वे स्वयं उधेड़बुन में हैं कि किस तरह जनता और सरकार को चूना लगाया जाय। मैं तो प्रशासन और सरकार के लिए भी एक चुनौती के रूप में यहाँ पड़ा हूँ। यथास्थान स्थापित होने के इंतजार में....!
निरंकार से भी मेरी प्रार्थना है कि हे प्रभु! आप उस चोर का साथ क्यों दे रहे हैं? क्या आपको भी उस चोर से डर है? सुनते हैं कि आप निर्लिप्त हैं तो फिर चोरों के साथ लिप्त कैसे हो गए?
।। श्री परमात्मने नमः।।

Friday 3 November 2017

कामवासना

आदमी मरते-मरते दमतक यानि आखिरी क्षण तक भी जब मौत द्वार पर दस्तक दे रही हो तबतक भी कामवासना से पीड़ित होता है और साधारण आदमी नहीं बल्कि परम अद्वैत में आश्रय किया हुआ! जो परम अद्वैत में अपनी आस्था की घोषणा कर चुका है और मोक्ष के लिए उद्यत हुआ भी। वह जो कहता है हम मोक्ष की तरफ प्रयाण कर रहे हैं वह भी! पुरुष काम के वश होकर क्रीड़ा के अभ्यास से व्याकुल होता है, यही आश्चर्य है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

Thursday 2 November 2017

आश्चर्य

कसौटियों से गुजर कर ही सोने की परख होती है औरआग से गुजर कर ही सोना कुंदन बनता है।
'परम अद्वैत में आश्रय किया हुआ और मोक्ष के लिए भी उद्यत हुआ पुरुष काम के वश होकर क्रीड़ा के अभ्यास से व्याकुल होता है—यही आश्चर्य है।'
।। श्री परमात्मने नमः।।

Wednesday 1 November 2017

सुख की तलाश

एक आदमी भोग में पड़ा है वह धन इकट्ठा करता है और सुंदर स्त्री की तलाश करता है। एक स्त्री सुंदर पुरुष को खोजती है। आदमी बड़ा मकान बनाता है। उससे पूछिए वह बड़ा मकान क्यों बना रहा है? वह कहता है, इससे सुख मिलेगा। दूसरा आदमी सुंदर मकान छोड़ देता है पत्नी को छोड़ कर चला जाता है। घर-द्वार से अलग हो जाता है। नग्न भटकने लगता है। संन्यासी हो जाता है। उससे पूछिए तुम यह सब क्यों कर रहे हो? वह कहेगा, इससे सुख मिलेगा। दोनों की आकांक्षा सुख की ही है और दोनों मानते हैं कि सुख को पाने के लिए कुछ किया जा सकता है। यही भ्रांति है। सुख स्वभाव है। उसे पाने के लिए मनुष्य जब तक कुछ करेगा तब तक उसे खोता रहेगा। पाने की चेष्टा में ही उसे गंवाया है। संसारी एक तरह से गंवाता है और त्यागी दूसरी तरह से गंवाता है। दोनों किस भांति गंवाता है इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
।। श्री परमात्मने नमः।।