जिंदगी वहीं की वही दुःख से भरी हुई है और जब भी कोई दुःखी हो जाता है वह भी इनके पीछे चला जाता है कि हमको भी गुरु मंत्र दे दें। हमारा भी कान फूंक दें कि हम भी इसी तरह सुखी हो जायें जैसे आप हो गये हैं लेकिन यह जिंदगी क्यों दुःख पैदा कर रही है। इसको देखने के लिए इसके विज्ञान को खोजने के लिए कोई भी जाता नहीं है।
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