Tuesday 29 November 2016

प्रेम का रहस्य

संसार में यदि प्रेम करना है तो भगवान से ही प्रेम करना चाहिये; क्योंकि भगवान ही प्रेम के सर्वस्व हैं, यानि प्रेम का तत्त्व-रहस्य जानने वाले भगवान ही हैं। सारी दुनिया का प्रेम इकट्ठा कर लें तो भगवत्प्रेम के एक अंश का भी अंश नहीं हो सकता। भगवान प्रेम का जितना मूल्य चुकाते हैं, उतना कोई भी नही चुकाता।भगवान प्रेम से खरीदे जाते हैं। सारे संसार से प्रेम हटाकर - प्रेम बटोरकर, केवल भगवान से ही प्रेम करना चाहिये।

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