Monday 28 November 2016

वस्तु का आदान-प्रदान

दूसरेकी प्रसन्नतासे मिली हुई वस्तु दूधके समान है, माँगकर ली हुई वस्तु पानीके समान है और दूसरेका दिल दुःखाकर ली हुई वस्तु रक्तके समान है।
।।श्री परमात्मने नम:।।

No comments:

Post a Comment