मानव को अपना धर्मयुद्ध अपने आस-पास और अपने भीतर जरूर लड़ना पड़ता है जिसके लिए सबसे पहले अपने भीतर व्याप्त भ्रष्टाचार से लड़ना पड़ता है।
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