हमारा जीवन इसलिए है कि अखिल सत्य तत्त्व में विचरण करते हुए अमृत का पान करें। प्रभु ने कृपा करके हमें अपने संसार की सत्यरूपी वाटिका में भ्रमण करके आनंद लाभ करने के लिए भेजा है, परंतु हाय, हम तो अपने को बिलकुल ही भूले जा रहे हैं। वास्तव में दुनिया कुछ नहीं है। अपनी छाया ही संसार के दर्पण में प्रतिबिंबित हो रही है।
।।श्री परमात्मने नम:।।
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