Sunday 11 December 2016

सामान्य हित में अवचेतन

मानव का कल्पनावादी मन निरंतर सामान्य हित में काम करता है और सभी चीजों के पीछे सामंजस्य के निहित सिद्धान्त को प्रदर्शित करता है। मानव के अवचेतन मन की अपनी खुद की इच्छा है और यह अपने आप में बहुत वास्तविक है। मानव चाहे या न चाहे यह दिन-रात काम करता है। यह मानव के शरीर का निर्माता है लेकिन मानव इसके निर्माण को देख , सुन या महसूस नहीं कर सकता। यह बिल्कुल खामोश प्रक्रिया है। मानव के अवचेतन का अपना खुद का जीवन है जो हमेशा सामंजस्य, सेहत और शांति की ओर होता है। इसके भीतर दैवी मानदंड है जो मानव के माध्यम से हर समय अभिव्यक्ति चाहता है।

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