जब हृदय शुद्ध होता है तो पक्ष और विपक्ष का ख्याल नहीं आता न कोई अभिमान न अनिवार्यताएं न आवश्यकताएं और न आकर्षण तब आपके सभी काम आपके नियंत्रण में होते हैं आप एक मुक्त मनुष्य हैं।
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