Wednesday 28 December 2016

जीवन का सत्य

प्राकृतिक विधान में पूर्ण आस्था रखकर हम अपने शरीर, वस्तु, धन, बल, योग्यता, सामर्थ्य आदि का सदुपयोग करें तो हमें अपने साध्य की प्राप्ति होगी क्योंकि हर संयोग वियोग में, जन्म मृत्यु में और उत्पत्ति विनाश में बदलता है जो जीवन का सत्य है।

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