Wednesday 2 November 2016

पितृ-ऋण

शास्त्र के अनुसार, यदि पिता प्रसन्न हैं तो पुत्र के सब पापों का प्रायश्चित हो जाता है। पितृ ऋण तो हम नहीं चुका सकते पर अपने पिता-  माता को सम्मान अवश्य दें जिसके कि वो हकदार हैं।
।।श्री परमात्मने नम:।।

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