शास्त्र के अनुसार, यदि पिता प्रसन्न हैं तो पुत्र के सब पापों का प्रायश्चित हो जाता है। पितृ ऋण तो हम नहीं चुका सकते पर अपने पिता- माता को सम्मान अवश्य दें जिसके कि वो हकदार हैं। ।।श्री परमात्मने नम:।।
No comments:
Post a Comment