यह सृष्टि परमात्मा से भिन्न नहीं है यह उसका नृत्य है तो परमात्मा नर्तक है। यह सृष्टि उसकी कृति नहीं है। यह कोई बनायी हुई मूर्ति नहीं कि परमात्मा ने बनाया और वह अलग हो गया बल्कि परमात्मा इसके भीतर मौजूद है। वह अलग हो जाएगा तो नर्तन बंद हो जाएगा और नर्तन बंद हो जाएगा फिर परमात्मा भी खो जाएगा।
।।श्री परमात्मने नम:।।
No comments:
Post a Comment