Tuesday 9 January 2018

मेरा विचार

नमस्कार!
इस ब्लॉग पर संप्रेषित मेरा विचार आपको कैसा लगता है? संप्रेषण तो सर्वमान्य कदापि नहीं हो सकता और नहीं मैं सबको खुश कर सकता हूँ. कमेंट करनेवाले न जाने किस भाव से कमेंट करते हैं और पढ़ने वाले न जाने किस भाव से पढ़ते होंगे. मैं नतो किसी राजनीतिक दल का हिमायती हूँ न किसी का विरोधी. हाँ इतना जरुर है कि मैं राष्ट्र के समग्र जनता के विकास का हिमायती हूँ. मैं आध्यात्मिक परिवेश को अधिक पसंद करता हूँ तो आइए हम अपना व्यवहार इस तरह बनाएं कि वह गणित के शून्य की तरह हो ताकि किसी के साथ जुड़ने पर उसकी कीमत बढ़ जाये ताकि लोकतांत्रिक प्रणाली के सिसकते साज को नई आवाज मिले परंतु हमें ऐसा एहसास हो रहा है कि न जाने कौन सुनेगा किसे सुनाऊं व्यथा-कथा अरमान की, परस्पर *राजनेता* लड़ते जनता सुखी नहीं *हिंदुस्तान* की...?
।। श्री परमात्मने नमः।।

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