Sunday 14 January 2018

दहेज कोढ़ है

देखो रे लाला दुनिया का खेल निराला
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वो कैसा साधु बन बैठा नहीं समझ में आया
दिन को बैठे माला फेरे रात में डाका डाला
देखो रे लाला...................................
बाप उठाकर हल कंधे पर गया जोतने खेत
खूब कमाया बेटा खातिर रुपये कर दी ढाला
देखो रे लाला.....................................
बेटा चला पढ़न पटना को रुपए-पैसे लेकर
चला सिनेमा छोड़ पढ़ाई कमरे में लगाया ताला
देखो रे लाला......................................
बिछा खाट पत्नी बैठी,पति जी आये अॉफिस से
तेललगा पत्नी के बदन उसने मालिश कर डाला
देखो रे लाला......................................
कभी न खाए हलवा-पूड़ी खाया सबदिन रोटी
आज मिला घी का पूड़ी घर में आया जो साला
देखो रे लाला......................................
सास-ससुर पैसे के खातिर गली-गली हैं मारे
पर पतोहू अपने रुपए को ब्याज में दे डाला
देखो रे लाला......................................
बेटी की शादी है घर में बाप है ग़म के मारे
बेटा को है फिकर नहीं चाहे बाप हो मरनेवाला
देखो रे लाला.......................................
आज दिवाकर रंगमंच पर सुना रहा यह गाना
कोई तो उठकर बोलो क्या झूठ-मूठ कह डाला
देखो रे लाला.......................................
।। श्री परमात्मने नमः।।

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