Thursday 18 January 2018

यज्ञ

चाहे कोई कितना भी यज्ञ करे, कितना भी अनुष्ठान करे, कितना भी दान करे, कितनी भी भक्ति करे लेकिन जब तक मन में प्राणी मात्र के लिए प्रेम नहीं होगा, प्रभु से मिलन हो ही नहीं सकता।
।। श्री परमात्मने नमः।।

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