कौन कहता है कि हमारा बिहार गरीब है? जहाँ मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक कार से विद्यालय आते हों भला वह राज्य गरीब हो सकता है? इतना होने पर भी ऐसा देखा गया है कि ग्यारह बजे लेट नहीं और तीन बजे भेंट नहीं। बिहार-सरकार भी नजरंदाज करने में कोताही नहीं बरत रही है क्योंकि उक्त विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या पांच सौ अट्ठाईस है कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय को लेकर और शिक्षकों की संख्या मात्र पांच...! हाँ, विद्यार्थी-गण भले हीं अपनी-अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में कोताही बरत रहे हैं। खैर जो भी हो परंतु विद्यालय में फिलहाल पहले की अपेक्षा विद्यार्थियों की उपस्थिति बढ़ गई है क्योंकि एमडीएम के तहत साप्ताहिक अंडे का प्रावधान जो है भले ही कुछ विद्यार्थियों को आधा-आधा अंडा ही क्यों न मिलता हो? अब तो आप शिक्षा में गुणात्मक सुधार का अंदाजा आसानी से लगा ही लेंगे...? उक्त वर्णन किस विद्यालय का है यह बताने की जरूरत नहीं है, आप खुद अपनी बुद्धिमत्ता का प्रयोग करें। जय हो बिहार... आगे बढ़ता बिहार...?
।। श्री परमात्मने नमः।।
Monday 1 January 2018
कौन कहता है बिहार गरीब है?
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment