Friday 26 January 2018

नवजीवन

लोकविमुख राजनीति, सकते में लोकतंत्र
गणतंत्र-भारत में घुटन नहीं चाहिए !
स्वाधीन-भारत में नैतिक सिद्धांत नहीं
मकसद हंगामे का हमें नहीं चाहिए !
आपस में प्रेम बिना जीवन है अस्त-व्यस्त
परस्पर आलोचना अब नहीं चाहिए!
अवसर मिल जाने पर बिक जाते लोग यहांँ
सह-जीवन, प्रेम और सह-विकास चाहिए !
उपलब्धियां अनेक हैं फिर भी है लाभ शून्य
लोकतांत्रिक राष्ट्र में नवजीवन चाहिए !
।। श्री परमात्मने नमः।।

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