किसी भी विदेशी ने हमें अपनी ताकत से नहीं बल्कि हमारी आपसी फूट के कारण गुलाम बनाया है। आज समाज तोड़ने वाली शक्तियां पूर्वकाल से ज्यादा सक्रिय हैं और उन्हें परास्त कर हमें सारे समाज को परम वैभव तक ले जाना है। सारा समाज मेरा अपना है- यह भाव जगाकर समाज रूपी ईश्वर की आराधना करनी होगी और इस भाव को वैयक्तिक, पारिवारिक, सामाजिक, व्यावसायिक एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में व्यावहारिक रूप में स्थापित करना होगा। हमें प्रत्येक व्यक्ति को संस्कारित करना पड़ेगा और भारत को एकता के सूत्र में पिरोने और स्वतंत्र रखने के लिए देश के लिए जीने-मरने वाले समाज का निर्माण करना होगा।
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