"सिसकियां लेती हुई गम-गीं हवाओं चुप रहो, सो रहे हैं दर्द उनको मत जगाओ चुप रहो। सोच की दीवार से लगकर गम बैठे हुए हैं, दिल में नगमा न कोई गुनगुनाओ चुप रहो।। दिवाकर प्रसाद, सरमेरा, नालंदा ।। श्री परमात्मने नमः।।
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