Monday 18 December 2017

प्रेरणा

"कभी भी लोगों की टीका टिप्पणी से घबराना नहीं चाहिए क्योंकि खेल में दर्शक ही शोर मचाते हैं खिलाड़ी नहीं "! खिलाड़ी तो अपने खेल में व्यस्त रहते हैं उन्हें केवल और केवल अपने कर्त्तव्य-पथ की ओर बढ़ते रहने की मानसिक-सक्रियता पर ध्यान केंद्रित रहती है। हमें भी अपने कर्त्तव्य-पथ पर चलते रहने की जरूरत है। जीत-हार तो जीवन-समर के क्षेत्र लगा ही रहेगा। परिणाम तो हमारे कर्त्तव्य-पथ की सक्रियता पर निर्भर है। महात्मा गौतम बुद्ध के जीवन से हम प्रेरणा लेकर अपने जीवन को संवार सकते हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।

No comments:

Post a Comment