हम यही सोचते हैं कि हमारी सोच, आदतें, विचार, बोल और कार्य सभी सही हैं और दूसरों की गलत! हम हमेशा दूसरों को ही बताते रहते हैं कि आपने यह सही नहीं किया और वह काम गलत परंतु जब हम संतों-महापुरुषों का जीवन देखते हैं तो पाते हैं कि वे सभी के अंदर सिर्फ अच्छाइयां देखते हैं! कोई इंसान अच्छा न भी हो फिर भी वे उसमें अच्छाई खोज ही लेते हैं! वे उसका बाहरी रूप देखने की बजाय उसके आत्मिक रूप की ओर ध्यान देते हैं! हमें भी उनकी तरह औरों की गलतियों की ओर देखने की बजाय स्वयं को बेहतर करने की कोशिश करनी चाहिए!
।। श्री परमात्मने नमः।।
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