हमारे अवचेतन मन का यह नियम है कि जिसने हमें बंधन में रखा और हमारे कार्य की स्वतंत्रता को सीमित किया है वही हमें एक न एक दिन स्वतंत्रता और खुशी भी देगा! भले ही यह इस बात पर निर्भर करता है कि हम इसका कैसा प्रयोग करते हैं! ।। श्री परमात्मने नमः।।
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