नई आदत डालने के लिए हमें विश्वास होना चाहिए कि यह वांछित है! जब बुरी आदत को छोड़ने की हमारी इच्छा इसे जारी रखने की इच्छा से ज्यादा बड़ी हो तो समझ लीजिए हमारा इक्यावन प्रतिशत उपचार तो हो चुका है! दूसरों की बातें हमें तब तक चोट नहीं पहुँचा सकती जब तक कि हमारी खुद की वैचारिक और मानसिक सहमति न हो! खुद को अपने लक्ष्य के साथ एकाकार करें जो शांति, सद्भाव और खुशी है! हम ही अपने ब्रह्मांड में इकलौते चिंतक हैं!
।। श्री परमात्मने नमः।।
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