राजा जनक की बेटी और राजा दशरथ की पुत्रवधू सीता का श्री राम के साथ अलौकिक विवाह हुआ परन्तु मिला वनवास तत्पश्चात वनवास में भी अपहरण और उसके बाद अग्निपरीक्षा! अंत में भी गर्भवती सीता को देखना पड़ा पारिवारिक वियोग! पृथ्वी पर राज करने वाले पिता और ससुर चाहकर भी सीता को सुख नहीं दे पाए! यही है विधि का विधान तो फिर एक साधारण मनुष्य कैसे अपनी संतान को उनके अपने भाग्य के बिना सुख दे सकता है? तन-मन-धन से प्रयास करते रहें परन्तु मन से यह भूल मत जाएँ कि किसी को भी सुख उसके अपने कर्म व भाग्य से ही मिलती है न कि दूसरे के करने से..!
।। श्री परमात्मने नमः।।
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