कितने जिस्मों पे नहीं आज भी कपड़ा कोई, इस समस्या पे तो आयोग न बैठा कोई? बात कुर्सी की बहुत गर्म है चौराहों पर, डूबते गाँव की करता नहीं चर्चा कोई?
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