Sunday 27 August 2017

जाल

किस द्वारे को दस्तक दें
और किस बस्ती को याद करें?
जान न पाते कहाँ रोशनी,
छाया कहाँ अँधेरा है?
जीवन है रेतीला सागर
साँसों में तड़पन मछली की,
जाल मुकद्दर का फैलाये
रहता यहाँ मछेरा है।
।। श्री परमात्मने नमः।।

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