किस द्वारे को दस्तक दें और किस बस्ती को याद करें? जान न पाते कहाँ रोशनी, छाया कहाँ अँधेरा है? जीवन है रेतीला सागर साँसों में तड़पन मछली की, जाल मुकद्दर का फैलाये रहता यहाँ मछेरा है। ।। श्री परमात्मने नमः।।
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