Friday 25 August 2017

हमदम

कौन जाने मेरे हमदम कि सुबह हो कि न हो
आज तो आओ ज़रा देर मचल कर सोएँ,
आग को खोजता शायद कोई फिर आ निकले
आज की रात चलो आग उगल कर सोएँ।
।। श्री परमात्मने नमः।।

No comments:

Post a Comment