Sunday 6 August 2017

नमन

नमन है नमन सत्गुरु का नमन!
आज सत्संग में आना मुझे भा गया।
सत्गुरु हैं हितकारी और हैं मंगलकारी
कि नफरत मिटाना हमें भा गया।
भर दे जन्नत का सुख आज दामन में मेरे
मिट जाये दर्द सारे आज चरणों में तेरे।
भर दे जन्नत का सुख आज दामन में मेरे
मिट जाये द्वन्द्व सारे आज चरणों में तेरे।
ख़ता माफ़ कर दे ख़ुशी ग़म में भर दे
हे दाता! मैं तेरा मुरीद आ गया।
कभी बन के गोपी कभी बन के श्यामा
कभी बन कन्हैया कभी बन सुदामा।
बहाई है तुमने जो प्रीति की धारा
तू कण-कण समाया है ध्यान आ गया।
तू माली है जग का चमन मुस्कुराये
कोई फूल गुलशन में मुरझा न जाये।
फ़िजाओं में छाई है हर सूं बहारें
कि जन्नत से सुंदर मैं घर पा गया।
।। श्री परमात्मने नमः।।

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