Wednesday 8 November 2017

आस

समाये मेरी हस्ती में, निगाह और दिल में लहराये,
जो इतनी दूर जाना था तो इतने पास क्यूं आये?
जनम जनमों का नाता है ये खुद तुमने बताया था
तभी झाँका था मैं दिल में जहाँ बस तुम नजर आये ।
तुम बिन कैसे कटे उमरिया आस ही आस में बीती जाये,
मोरे नैन दरश बिन तरसे तुम बिन गुरुवर कछु न सुहाये।
तोरी प्रीत के कारण हाय मोसे रूठे अपने पराये
जग चाहे रूठे तुम मत रुठियो, तुम रुठियो तो गजब हुई जाये....तुम रुठियो तो गजब हुई जाये...
।। श्री परमात्मने नमः।।

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