अधर्म और अनीति पर चलने वाले मनुष्यों की उन्नति क्षणभंगुर होती है। धर्म और नीति का त्याग करने वाला रावण, हिरण्यकश्यप, कंस और दुर्योधन आदि की भी एक बार कुछ उन्नति-सी दिखायी दी थी परन्तु अन्त में उनका समूल विनाश हो गया। अतः हमें धर्म और नीति का त्याग नहीं करना चाहिए। वास्तव में धर्म और नीति पर कायम रहने वाले मानवों में ही मानवता समाहित होता है।
।। श्री परमात्मने नमः।।
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