कामवासना एक बड़ा प्राचीन अभ्यास है—सनातन—पुरातन! जन्मों— जन्मों में उसका अभ्यास किया है। कभी उससे कुछ पाया नहीं सदा खोया, सदा गंवाया लेकिन अभ्यास रोएँ—रोएँ में समा गया है। वह जो मोक्ष के लिए तैयार है और वह जो परम अद्वैत में अपनी आस्था की घोषणा कर चुका है। पुराने अभ्यास के कारण बार—बार विफल हो जाता है। मौत के क्षण तक आदमी कामवासना के सपनों से भरा होता है। ध्यान करने बैठता है तब भी कामवासना के विचार ही मन में दौड़ते रहते हैं। भीतर मन में सुन्दरियां ही भटका रही होती हैं।
।। श्री परमात्मने नमः।।
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