Friday 27 October 2017

माँ भारती

मानव जीवन के आंगन में जब छाये कभी अंधेरा,
माँ भारती करेगी सवेरा......
जहाँ निंदा,हिंसा,घृणा भाव का पल-पल लगता फेरा,
माँ भारती करेगी सवेरा.......
यह जीवन है जहाँ सुख-दु:ख के बंधन में डाले माया,
यहाँ गुण-अवगुण और द्वेष भाव को जन-जन क्यों अपनाया?
माँ भारती नाम को भूल सभी रटता है मेरा-मेरा...माँ भारती .....
उनका आंगन सदा खुला, भारती नाम गाले,
सत्संगति,सुविद्या,संयम,प्रेम सभी अपनाले,
यहाँ धन-बल विद्या काम न आये,ना तेरा ना मेरा..माँ भारती ...
थोड़ा-सा अधिकार मिले तो अभिमानी बन जाता,
काम घिनौना करने लगता कुछ न समझ में आता,
गुलशन को वीरान करे नफरत जब डाले डेरा...
माँ भारती...
। ।श्री परमात्मने नमः ।।

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