Monday 23 October 2017

जीवन

अविरत अंकुर का कुंभलाना,जीवन का अंत हुआ  जानो.
अंकुर की सांसें  बंद हईं,ऊषा से शाम हुई मानो
अंकुर की सांसें बंद न हों,चेतना-लहर लानी होगी.
जिस स्थल पर अंकुर जन्मा,उसपर जल-कण लानी होगी.
जीवन का अंतिम निर्णय क्या, एकाध बार की हार-जीत,
करता जा श्रम मत चिंता कर, खुशियों के गाना तभी गीत.
ऊषा के मनोरम आभा ने, जीवन सौरभ प्रदान किया,
रज-कण पर जल-कण बरस पड़ीं,नव-अंकुर खुलकर सांस लिया.
स्वरचित

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