Wednesday 25 October 2017

प्रार्थना

सद्बुद्धि दो हे भगवान !
न्यायोचित व्यवहार सिखा दो,
सद्बुद्धि दो हे भगवान !
इधर-उधर क्यों भटक रहे हैं ?
मुश्किल को कर दो आसान।
सबके हित के लिए जी सकें,
अर्पण कर तन, मन और प्राण।
कर्म करें निष्काम भाव से,
जन-हित पर हो मेरा ध्यान।
आत्म-निरीक्षण करूँ सर्वदा,
पद का कभी न हो अभिमान।
भोगपरायण जीवन तजकर,
करूँ मैं निशि-दिन जन-कल्याण।
सद्बुद्धि दो हे भगवान।
दिवाकर गोपालबाद,
सरमेरा (नालन्दा)

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