Sunday 3 September 2017

नयी मंजिल

हम इश्क के दीवाने हम प्यार सिखायेंगे. 
खोजेंगे नयी मंजिल इक राह दिखायेंगे. 

उजड़े हुए गुलशन की वीरान-सी दुनिया को
अपने ही हाथों से ज़न्नत सा बनाएंगे .

रोती हुई आँखों के हम पोंछ के हर आँसू
मुरझा गए चेहरों को हम फिर से हँसायेंगे.

नफ़रत के शोलों से  हर शख़्स झुलसता है
हम प्यार के झोंकों से शोले ये भगायेंगे. 

बेरंग सी दुनिया में हर मुल्क परेशां है
हम इश्क के रंगों से दुनिया ये सजायेंगे.

ज़ख़्म दिये हमको अपनों ने जो सीने में
हम प्यार के मरहम से ये ज़ख़्म सुखायेंगे.
।। श्री परमात्मने नमः।।

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