सतयुग में जिस फल के लिए ध्यान, त्रेता में यज्ञ और द्वापर में देवी देवताओं के निमित्त हवन-पूजन करना पडता है परंतु कलियुग में उसके लिए केवल नापजप ही पर्याप्त है। कम समय और कम प्रयास में सबसे अधिक पुण्य-लाभ के चलते ही कलयुग को सबसे श्रेष्ठ कहा गया है।
।। श्री परमात्मने नमः।।
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